देहरादून : दो साल की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया था। मां के इस हौसले से सेना में सिपाही तक पहुंचा हूं। मगर, मन में मां के संघर्ष की पीड़ा और देशभक्ति का जुनून सवार था। एयरफोर्स में सिपाही के रूप में भर्ती तो हुआ, लेकिन लक्ष्य अफसर बनने का था। अब अफसर बनने की राह तक पहुंचा हूं तो मां के संघर्ष को खुशी में बदलूंगा।
पुरोला के नैलाणी निवासी रोहित भंडारी भी आइएमए के एसीसी में जेएनयू की डिग्री से सम्मानित हुए। रोहित की कहानी 39 कैडेट से अलग थी। दो साल की उम्र में पिता जगेंद्र सिंह भंडारी का देहांत हो गया। माता मंजू भंडारी के सिर पर रोहित और छोटे भाई मोहित के लालन-पालन की जिम्मेदारी आ गई।
मां ने दिन रात संघर्ष किया। हुंडोली स्थित सरकारी इंटर कॉलेज से 12वीं पास की। नतीजन रोहित 2012 में एयरफोर्स में भर्ती हो गए। मां हमेशा देशभक्ति की कहानी सुनाती थी। इसलिए बचपन से ही मन में सेना में अफसर बनने का सपना था। अब मां की प्रेरणा और देशभक्ति के जुनून ने सपने को सच कर दिया। एक साल की ट्रेनिंग के बाद अफसर की शपथ लूंगा तो मां का संघर्ष खुशी में बदलेगा। अब इस दिन का बेसब्री से इंतजार है।