देहरादून- उत्तराखंड की सरकारें पलायन रोकने के बारे में पिछले सोलह साल से सिर्फ सोच ही रही हैं जबकि भारतीय सेना ने गांवों से पलायन रोकने का ब्लूप्रिंट न केवल तैयार किया है बल्कि उस पर अमल भी शुरू कर दिया है।
दरअसल सामरिक नजरिए से अहम उत्तराखंड के सरहदी गांवों में रोजी-रोटी, चिकित्सा और शिक्षा को लेकर लगातार पलायन जारी है। जिसके चलते बार्डर के गांव रीते हो गए हैं। ऐसे में आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने बार्डर से लगे गांवों को समृद्ध बनाने के लिए एग्रो फॉरेस्ट्री की योजना तैयार की है।
इसके तहत चीन सीमा से सटे गांवों में अखरोट और चिलगोजा जैसे फलों के पेड़ लगाने की शुरूआत कर दी है। सेना से एडीजी मेजर जनरल डीए चतुर्वेदी ने पहले चरण में मलारी मे अखरोट और चिलगोजा के पौध रोपते हुए अपने पलायन रोको प्रोजेक्ट का आगाज कर दिया है। दोनो फलों की पौध हिमाचल और कश्मीर से लाई गई है। 127 इन्फैंट्री बटालियन गढ़वाल रायफल्स की प्रादेशिक सेना को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।
प्रोजेक्ट के बारे मे जानकारी देते हुए मेजर जनरल डी.ए.चतुर्वेदी ने बताया कि पहले चरण में सेना ने ग्रामीणों को प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देकर ग्रामीणों के साथ मलारी में चार हजार पौध रोपी गई हैं। जबकि दूसरे चरण में एक लाख पौध रोपी जांएगी। वहीं तीसरे चरण में मलारी घाटी मे ही फलों की पौध की नर्सरी तैयार की जाएगी।
एडीजी चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सेना की इस पहल से जहां बार्डर के गांव हरे भरे होंगे वहीं ये पोधे ग्रामीणों की आर्थिकी को मजबूत करेंगे और आने वाले वक्त मे रोजगार के लिए पलायन की जरूरत नहीं पड़ेगी।