बावजूद इसके घनसाली से चमियाला जाने वाले सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। आगे कुंआ और पीछे खाई वाले हालात मे जीते इस रास्ते का हाल ये है कि ऊपर से पहाड़ दरक रहा है और नीचे भिलंगना नदी बह रही है।
सड़क जगह-जगह टूटी हुई। हालांकि हर साल चार धाम यात्रा से पहले इस सड़क की मरम्मत का काम किया जाता है। लेकिन सड़क पर सरकारी महकमे की देखरेख मे ठेकेदार जिस अंदाज में काम करता है उससे जनता को भारी ऐतराज है।
स्थानीय जनता की बात पर यकीन किया जाए तो सड़क पर काम लीपापोती वाली स्टाइल मे होता है। इतना ही नहीं लोक निर्माण महकमे इलाके में विकास के लिए कितना मुस्तैद है इसकी जानकारी श्रीकोट-सेंदुल-घनसाली मार्ग पर सफर के दौरान हो जाती है।
स्थानीय जनता का इल्जाम है कि एक पंचवर्षीय योजना गुजर गई लेकिन श्रीकोट-सेंदुल-घनसाली मार्ग का डमरीकरण नहीं हो पाया। वहीं 28 मई 2016 को आई आपदा के निशान श्रीकोट और घनसाली पुल अब तक अधर में लटके हैं।
न जिम्मेदार महकमे को दिखता है न जनप्रतिनिधि उन्हें आईना दिखाते हैं। घनसाली डिविजन का हाल तो ये है कि अधिशांसी अभियंता दफ्तर से ही नदारद रहते हैं। बताया जाता है कि साहब फील्ड मे हैं।
गजब की बात है साहब साइड में रहते हैं फिर भी उन्हें न सड़कों की सेहत दिखती है न त्रिशंकु की तरह अधर में लटकते अाधे-अधूरे पुल और न धूल खाती जनता के चेहरे। जबकि नवनिर्वाचित विधायक का कहना है कि वे महकमें से इस बाबत बात करेंगे। होगा क्या ये तो वक्त ही बताएगा फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि,”लोकतंत्र में तंत्र के तिलस्म से लोक की फजीहत हो रही है।”