देहरादून : आज वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अपराध गोष्ठी में अशोक कुमार, महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था द्वारा भी प्रतिभाग कर जनपद देहरादून के थानाध्यक्षों-अधिकारियों को सम्बोधित किया गया।
अशोक कुमार ने कहा कि अगर हम अपराधों के अनावरण की दृष्टि से देखें तो देहरादून पुलिस सबसे अच्छा कार्य कर रही है। लेकिन घटनाओं के Response Time और शिकायतों के निस्तारण में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। देशभर में उत्तराखण्ड पुलिस को स्मार्ट पुलिस की दृष्टि से देखा जाता है। हम पुलिसिंग में अन्य प्रदेशों से कहीं आगे निकल चुके हैं पर अभी हमें और अच्छा करने की जरुरत है। हम अपनी छोटी-छोटी कमियों को दूर कर भविष्य में देश की सर्वोत्तम पुलिस बन सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पुलिस को बनाया ही पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए है। जो धनी और शक्तिशाली हैं, वे तो सहज ही न्याय पा जाते हैं, परन्तु निर्धन और असहाय लोगों को न्याय दिलाना पुलिस की पहली प्राथमिकताओं में होना चाहिए। इसीलिए पीड़ितों की शिकायतों पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
गोष्ठी में एडीजी (अपराध एवं कानून व्यवस्था) अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस् द्वारा निम्न महत्त्वपूर्ण निर्देश दिये गये –
1. जो भी शिकायतकर्ता थाना/चौकी पर आता है, उसका शिकायती प्रार्थना पत्र प्राप्त कर, उसे Recieving दी जाये और उस पर तुरन्त वैधानिक कार्यवाही कर जीडी में इण्टरी कर उसकी प्रति भी शिकायतकर्ता को दी जाये। पुलिस नियंत्रण कक्ष तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त शिकायतों पर भी तत्काल कार्यवाही करने की आवश्यकता है।
2. पुलिस बल अपने-अपने थाना क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दिखाये। नाईट चैकिंग, पैट्रोलिंग, चीता मोबाइल, सीपीयू तथा गश्त पर पुलिस ज्यादा दिखायी दे, जिससे अपराधों पर नियन्त्रण किया जा सके।
3. देहरादून में 66 चीता मोबाईल हैं, अतः हमारा Response Time 5 मिनट से कम होना चाहिए। घटना स्थल पर तत्काल पहुंच कर कार्यवाही करें।
4. नगर पुलिस की Visibility को बढ़ाया जाने की आवश्यकता है। पेट्रोलिंग, पिकेटिंग, चैकिंग आदि सुनिश्चित की जाये। सभी अधिकारी महत्वपूर्ण घटना स्थलों पर उपस्थित रहें। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में हमारी उपस्थिति बढ़ने से अपराधों पर नियंत्रण होगा, वहीं दूसरी ओर जनमानस में भी विश्वास की भावना पैदा होगी।
5. जब कोई रोडरेज की घटना या स्कूल-कालेज के बाहर मारपीट व तोड़-फोड़ की घटना होती है तो उसमें Zero Tolerance की नीति अपनाकर कानूनी कार्यवाही करें। कानून तोड़ने वालों को थाने पर लाया जाना चाहिए और उसके बाद विधि अनुसार कार्यवाही की जाये, जिससे आम लोगों में कानून के प्रति विश्वास की भावना जागृत होगी।
6. सी0पी0यू का कार्य मात्र चालान करना नहीं है, Street Crime रोकना भी आवश्यक है। महिलाओं एवं छात्राओं की सुरक्षा की दृष्टि से स्कूल कालेज में चीता मोबाईल की भांति पैट्रोलिंग कर महिलाओं के प्रति अपराधों पर नियंत्रण करें।
7. धोखाधड़ी के मामले, नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी, जमीन की खरीद फरोख्त में धोखाधड़ी आदि मामलों में तत्काल कार्यवाही करके पीड़ित को न्याय दिलाना आवश्यक है। जो भी माफिया हैं, उनके विरूद्ध गैंगेस्टर एक्ट में केस दर्ज कर उनकी सम्पत्तियां जब्त की जानी चाहिए।
8. यदि दो पक्षों में झगड़ा होता है तो जो Offender है, उसके विरूद्ध ही कार्यवाही होनी चाहिए। जो आत्मरक्षा करता है, उसको Self Defense का Advantage देकर उसके विरूद्ध कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।
उक्त समीक्षा बैठक में निवेदिता कुकरेती, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून, श्वेता चौबे, पुलिस अधीक्षक नगर, सरीता डोभाल, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण सहित देहरादून के समस्त क्षेत्राधिकारी, थाना प्रभारी, सीपीयू के अधिकारी एवं चौकी प्रभारी मौजूद रहे।