देहरादून के बहुचर्चित अनुपमा हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले पति राजेश गुलाटी को कैदी नंबर 2307 दिया गया है। अंडर ट्रायल रजिस्टर से उसका नाम काटकर सजायाफ्ता कैदियों के कालम में दर्ज कर लिया गया है।
कैंट कोतवाली क्षेत्र के प्रकाशनगर में अनुपमा गुलाटी हत्याकांड 11 दिसंबर 2010 को सामने आया था, जबकि हत्या अक्तूबर में की गई थी। आरोपी इंजीनियर पति राजेश गुलाटी दो माह तक शव के टुकड़ों को डीप फ्रीजर में रखे हुए था, जबकि कुछ जंगल में फेंक दिए थे। पुलिस ने राजेश गुलाटी को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर शव के टुकडे़ बरामद कर लिए थे।
आजीवन कारावास की सजा
सात साल बाद 31 अगस्त को राजेश को दोषी ठहराया गया था, जबकि एक सितंबर को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जेल प्रशासन ने तमाम औपचारिकताएं पूरी कर राजेश गुलाटी को कैदी नंबर जारी कर दिया है। सजायाफ्ता कैदियों के रजिस्टर में उसे कैदी नंबर 2307 दिया गया है।
अब जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले कपड़ों में कैदी नंबर अंकित नहीं किया जा रहा है। जेल अधिकारियों का कहना है कि अब इस नंबर से कैदी की पहचान नहीं होती है, अलबत्ता रजिस्टर में उसका नंबर जरूर अंकित रहता है।