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Corona पर एक और चौंकाने वाला खुलासा, अब लाॅन्ग कोविड का खतरा, जानें क्या है ये ?

Reporter Khabar Uttarakhand
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aiims rishikesh

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कोरोना महामारी ने दुनिया को डरा दिया है। कोरोना खतरनाक और जानलेवा बीमार तो है, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार यह ज्यादातर लोगों के लिए जानलेवा नहीं है। इस बीमारी से लोग अब तेजी से ठीक हो रहे हैं। हालांकि अब कोरोना से जुड़े कुछ चौंकाने वाले खुलासे भी सामने आ रहे हैं।

कई लोग तो तेजी से ठीक हो रहे हैं, लेकिन कई ऐसे हैं, जिनको इससे निपटने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। इसके चलते लोग कई महीनों से थकान, दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस स्थिति को लॉन्ग कोविड कहा जा रहा है। लोगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे लोग थोड़ी दूर चलने भर से थक जाते हैं।

अब तक पूरा ध्यान लोगों की जान बचाने पर था, लेकिन अब कोविड के लंबे समय तक होने वाले असर के बारे में भी बात शुरू हो गई है। लेकिन कई बुनियादी सवाल हैं जिनके जवाब नहीं मिले हैं, जैसे कि लॉन्ग कोविड क्यों होता है और इसका शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा? लॉन्ग कोविड की कोई मेडिकल परिभाषा नहीं है ना ही सभी लोगों में एक जैसे लक्षण होते हैं। लॉन्ग कोविड से जूझ रहे दो लोगों के लक्षण बिल्कुल अलग हो सकते हैं, लेकिन अत्याधिक थकान होना एक आम लक्षण जरूर है।

सांस लेने में तकलीफ, लगातार रहने वाला कफ, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, सरदर्द, सुनने और देखने में तकलीफ, सूंघने की शक्ति खत्म होना और और स्वाद का चला जाना जैसे लक्षण लॉन्ग कोविड में पाए जा सकते हैं। इसके अलावा दिल, फेफड़ों और किडनी को भी नुकसान हो सकता है। लॉन्ग कोविड से जूझ रहे कई लोगों ने डिप्रेशन और एंग्जाइटी की शिकायतें भी की हैं। ये लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में बुरा असर डाल सकता है।

बीमारी का सामना कर चुकीं जेड ग्रे क्रिस्टी बताती हैं, श्मुझे इस तरह की थकान पहले कभी महसूस नहीं हुई थी।श् ऐसा नहीं है कि लॉन्ग कोविड से निपटने में सिर्फ उन लोगों को समय लगता है जो इन्टेंसिव केयर में हैं। मामूली लक्षण वाले लोगों को भी ऐसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। एक्सटर विश्विद्यालय के प्रोफेसर डेविड स्टर्न कहते हैं, श्इस बात में कोई शक नहीं हैं कि लॉन्ग कोविड मौजूद है।श् कैसे होता है लॉन्ग कोविड?

रोम के एक बड़े अस्पताल से डिस्चार्ज किए गए 143 लोगों पर की गई एक स्टडी अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के एक जर्नल में छपी है। इसके मुताबिक, 87 फीसदी लोगों में दो महीने बाद भी कम से कम एक लक्षण पाया गया। इनमें से आधे लोगों ने थकान की शिकायत की। हालांकि ऐसी स्टडी उन ही लोगों पर केंद्रित होती है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाता है। ब्रिटेन के कोविड सिप्टम ट्रैकर, जिसे 40 लाख लोग इस्तेमाल करते हैं, उसके आंकड़ों के मुताबिक 30 दिनों के बाद भी 12 फीसदी लोगों में लक्षण पाए गए। इसके अभी पब्लिश नहीं हुए डेटा के मुताबिक, दो फीसदी लोगों में 90 दिनों के बाद भी लॉन्ग कोविड के लक्षण दिखे।

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