उत्तराखंड के लिए 21 अगस्त को एक और बुरी खबर आई। देश की रक्षा करते हुए उत्तराखंड के एक और बेटे ने अपने प्राणों को कुर्बान किया। खबर मिली है कि 21 अगस्त को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में अल्मोड़ा जिले के सिरौली गांव के निवासी बीएसएफ जवान हवलदार कुंदन राम शहीद हो गए। वहीं जवान की शहादत की खबर जब परिवार वालों तक पहुंची तो पत्नी बेसुध हो गई और घऱ में चीख पुकार मच गई। आस पड़ोस के लोग घर पहुंचे और शहीद के परिवार वालों को सांत्वना दी। बता दें कि शहीद कुंदन राम के परिवार में उनकी माँ हंसी देवी, पत्नी सुनीता देवी और एक बेटा है। शहीद का पार्थिव शरीर आज सोमवार को उनके पैतृक गांव सिरोली लाया गया और अंतिम दर्शन के बाद सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि रामगंगा नदी के पावन तट बबलेश्वर श्मशान घाट पर की गई। शहीद की चिता को मुखाग्नि उनके एकलौते बेटे हरीश ने दी।वहीं श्मशान घाट पर प्रशासन की ओर से एसडीएम आरके पांडे ने जवान को श्रद्धांजलि दी। वहीं तहसीलदार सतीश चंद्र बर्थवाल, प्रभारी थानाध्यक्ष मनमोहन मेहरा, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, ब्लॉक प्रमुख की ओर से प्रतिनिधि हीरा सिंह बिष्ट, पूर्व दर्जामंत्री कुबेर सिंह कठायत, अमर सिंह बिष्ट, रमेश चंद्र कांडपाल, सुंदर लाल आदि ने श्रद्धांजलि दी।
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात थे शहीद, सितंबर में आने वाले थे छुट्टी
जानकारी मिली है कि शहीद कुंदन सिंह मात्र 22 साल की उम्र में 1994 को बीएसएफ की 169 बटालियन में भर्ती हुए थे। हालांकि इन दिनों वह जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात थे। वह आखिरी बार नवंबर 2019 छुट्टियों में घर आये थे और फिर 2 महीने घर पर बिताने के बाद 19 जनवरी को वापस ड्यूटी पर चले गए थे। परिवार वालों ने बताया कि कुंदन अगले महीने सितंबर को ही फिर से छुट्टी आने वाले थे लेकिन उनसे पहले उनकी शहादत की खबर आई। इस बार वह अपनी पेंशन संबंधित कागजों को तैयार करने के लिए आने वाले थे।
जल्द होने वाला था प्रमोशन
वहीं यूनिट से आए अधिकारियों ने बताया कि शहीद कुंदन सिंह काफी मिलन सार थे और उनकी 26 साल की नौकरी पूरी हो गई थी। उनकी सबसे अच्छी बनती थी। बताया कि शहीद कुंदन सिंह की एसआई के पद पर पदोन्नित भी होनी थी लेकिन वो इससे पहले देश के लिए शहीद हो गए।
शहीद कीप त्नी सुनीता को 35 हजार की धनराशि
फिलहाल परिवार को फौरी राहत के रूप में यूनिट की ओर से सब इंस्पेक्टर बीएसएफ दिनेश जोशी द्वारा पत्नी सुनीता को 35 हजार की धनराशि दी गई। बेटे हरीश को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा गया।