रुद्रप्रयाग- आपदा को गुजरे साढ़े चार वर्ष बीतने के बाद भी आपदा में बहे झूला पुलों का निर्माण न होने से नाराज ग्रामीणों ने एक बार पुनः आन्दोलन छेड़ दिया है। विजयनगर और चन्द्रापुरी में ग्रामीणों ने क्रमिक अनशन प्रारम्भ कर दिया है।
चन्द्रापुरी में एक बार फिर से ग्रामीण झूला पुल के पुनर्निर्माण को लेकर आन्दोलन की राह पर हैं। ग्रामीणों ने तीन जनवरी को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप कर पुल निर्माण का कार्य प्रारम्भ कराने की मांग की थी। जिस पर जिलाधिकारी ने पन्द्रह दिन का समय मांगा थां परन्तु अभी तक निर्माण कार्य प्रारम्भ न होने पर ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट ही गया।
ग्राम प्रधान सुलोचना देवी की अध्यक्षता में पाली, रंयासू, नैली कुण्ड, अरखुण्ड सहित एक दर्जन से अधिक ग्रामों के ग्रामीणों ने लक्ष्मी नारायण मन्दिर चन्द्रापुरी में एक बैठक का आयोजन किया। बैठक में वक्ताओं ने शासन प्रशासन पर वादाखिलाफी कास आरोप लगाते हुए आन्दोलन करने का निर्णय लिया। ग्रामीणों ने 25 जनवरी तक क्रमिक अनशन का फैसला लेते हुए 26 जनवरी से आमरण अनशन के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम का ऐलान किया है।
वहीं विजयनगर में भी झूला पुल पुनर्निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले दो दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने क्रमिक अनशन के साथ आन्दोलन का बिगुल बजा दिया है। वहीं आंदोलन को गैरसैंण स्थायी राजधानी संघर्ष मोर्चा ने भी आंदोलनकारियों को समर्थन दिया है।
16/17 जून 2013 को केदारघाटी में आये भयानक जलजले ने पूरी केदारघाटी में जबरदस्त तबाही मचाई थी। उस समय मन्दाकिनी नदी पर बने नौ पैदल झूला पुल आपदा की भेंट चढ़ गये थे। स्थिति सामान्य होने पर सरकार ने स्थाई पुलों से पहले इन स्थानों पर ट्रालियां लगाई। ट्राॅली लगाने के बाद सरकार ने झूला पुलों के निर्माण से आंखे फेर ली। मजबूर होकर हर जगह ग्रामीणों को आन्दोलन करना पड़ा। तब जाकर सरकार की नींद खुली और पुलों का निर्माण प्रारम्भ हुआ। परन्तु कभी बजट की कमी और कभी ठेकेदार की लापरवाही से पुलों पर बीच बीच में काम बन्द होता रहा जो ग्रामीणों के आन्दोलन के बाद ही प्रारम्भ हो पाया।
इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। विगत कई माह से इन झूला पुलों का निर्माण कार्य बन्द पड़ा है। ग्रामीणों ने कई बार शासन प्रशासन को इस सम्बन्ध में लिखा परन्तु कोई समाधान नहीं हो पाया। अब एक बार फिर ग्रामीण आन्दोलन की राह पर हैं। इस बार ग्रामीणों ने ठानी है कि पुल का निर्माण पूर्ण होने पर ही उनका आन्दोलन समाप्त होगा।
है न गजब की बात आलवेदर रोड वाले प्रदेश के कई गांव आज तक पुलों से महरूम है जिन्हे आपदा बहा ले गई और आपदा के हर घाव पर मरहम लगाने का उस दौर में दावा किया गया। इमदाद की झोलियां खुलने की बात हुई लेकिन पुलों की हालत देखकर लगता ही नही कि किसी घाव पर कोई मरहम लगा है।