देहरादून- जब तक खटीमा के हल्दीपंचपेड़ा का किसान रामौतार जिंदा था उसे किसी ने सहारा नही दिया। न बैंक ने न सियासत न और न उन स्थानीय पैसे वालों ने। लेकिन जैसे ही बैंक के कर्जदार रामौतार ने खुदकुशी की सियासत को सवाल मिल गया।
रामौतार की मौत के मामले पर सरकार ने बीते रोज पांच लाख के मुआवजे का ऐलान किया। जबकि स्थानीय विधायक पुष्कर धामी ने भी एक लाख की मदद देने की बात की। बावजूद इसके सियासत की भट्टी में मृतक रामौतार को सुलगाया जा रहा है। दरअसल पहले किसानों के कर्जा माफी पर दो टूक ना कर चुकी सरकार के रवैए से खफा विपक्ष ने रामौतार के परिजनों से मुलाकात की और हर संभव मदद का भंरोसा दिया।
जबकि अपनी जमीन खिसकती और भद पिटती देख सरकार ने भी मुआवजे का दांव खेला। आज धरना भी हुआ और विपक्ष ने रामौतार की मौत के बहाने सरकार की बखिया उधेड़ कर रख दी। इस पर आज देहरादून में सरकार के शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने भी आंकड़ों के साथ कांग्रेस की धज्जियां उड़ाई।
कौशिक ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनके राज मे किसानो ने ज्यादा खुदकुशी की है। वहीं कौशिक ने कहा कि अगर आज किसान आत्महत्या कर रहा है तो उसके लिए काग्रेस का वो लंबा शासन गुनाहगार है जो सरकारों में तो रही लेकिन किसान के लिए कोई ऐसी नीति नहीं बना सकी कि किसान के हाथ मजबूत हों और वो अपना कर्ज कमाई के साथ वापस करे।