नई दिल्ली: सेना का केतली पहलवान देश के लिए ओलंपिक में सेना जीतना चाहता है। उसके लिए वो जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। दीपक पूनिया ने विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले भारतीय पहलवान दीपक पूनिया ने जब कुश्ती शुरू की थी, तब वो केवल नौकरी पाना चाहते थे। 2016 में उन्हें भारतीय सेना में सिपाही के पद पर काम करने का मौका मिला, लेकिन ओलिंपिक मेडल विजेता पहलवान सुशील कुमार ने उन्हें छोटी चीजों को छोड़कर बड़े लक्ष्य पर ध्यान देने का सुझाव दिया और फिर दीपक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
केतली पहलवान के नाम से मशहूर
दीपक के पिता 2015 से रोज लगभग 60 किलोमीटर की दूरी तय करके उसके लिए हरियाणा के झज्जर से दिल्ली दूध और फल लेकर आते थे। उन्हें बचपन से ही दूध पीना पसंद है और वह गांव में ‘केतली पहलवान’ के नाम से जाने जाते हैं। ‘केतली पहलवान’ के नाम के पीछे भी दिलचस्प कहानी है। गांव के सरपंच ने एक बार केतली में दीपक को दूध पीने के लिए दिया और उन्होंने एक बार में ही उसे खत्म कर दिया। उन्होंने इस तरह एक-एक कर के चार केतली खत्म कर दी, जिसके बाद से उनका नाम ‘केतली पहलवान’ पड़ गया।
मेहनत से हासिल किया मुकाम
उन्होंने बताया कि ‘ओलिंपिक गोल्ड कोस्ट (ओजीक्यू) से प्रायोजन मिलने के बाद दीपक की चिंताएं दूर हुई और वह अपने खेल पर ज्यादा ध्यान देने लगे। बीस साल के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘2015 तक मैं जिला स्तर पर भी मेडल नहीं जीत पा रहा था।’ उन्होंने कहा, ‘मैं किसी भी हालत में नतीजा हासिल करना चाहता था ताकि कहीं नौकरी मिल सके और अपने परिवार की मदद कर सकूं। मेरे पिता दूध बेचते थे। वह काफी मेहनत करते थे। मैं किसी भी तरह से उनकी मदद करना चाहता था।