चम्पावत : पंचायतों में आरक्षण सरकार ने भले तय कर दिया हो, लेकिन कुछ जिलोें के कुछ ग्रामसभाओं में आरक्षण इस तरह तय किया गया है कि ग्रामसभाओं का ग्राम प्रधान के उम्मीदवार ही नहीं मिल पा रहे हैं। कुछ ग्रामसभाओं में पद आरक्षित कर दिया गया है, जबकि उन ग्रामसभाओं में आरक्षित वर्ग के लोग रहते ही नहीं हैं। जबकि कुछ गांवों में सामान्य वर्ग के लिए सीट आरक्षित की गई है। लेकिन, उस ग्रामसभा में आरक्षित वर्ग का कोई रहता ही नहीं है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है चम्पावत जिले में, जहां नौबत ऐसी है कि उत्तराखंड का प्रधान यूपी मूल का चुना जाएगा।
चम्पावत जिले के बाराकोट ब्लाक के पदेड़ा गांव में ग्राम प्रधान की सीट एस-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित की गई है, जबकि गांव में एक भी परिवार एससी-एसटी वर्ग का नहीं रहता है। गांव में एक मात्र आरक्षित वर्ग का परिवार रहता है, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश का है। अगर पंचायती राज विभाग ने आपत्ति दूर नहीं की, तो तय मानिये कि इस बार यूपी मूल का व्यक्ति उत्तराखंड के गांव का प्रधान बन जाएगा।
बर्दाखान इंटर काॅलेज के पूर्व कर्मचारियों को प्रधान बनाना मजूबरी हो जाएगी। गांव में 11 मतदाता पीजीभीत और बहराइच जिलों के भी हैं। ग्रामीणों ने इसका काफी विरोध किया, लेकिन जिला अधिकारी और पंचायती राज विभाग ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। हालांकि चम्पावत के डीएम टीएस मार्तोलिया ने कहा कि समस्याओं का समाधान किया जाएगा।