उत्तराखंड पुलिस विभाग से गजब का मामला सामने आया है जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. जी हां मामला रुड़की पुलिस का है जहां पुलिस ने उस आरोपी को गिरफ्तार किया जिसे पुलिस ने ही 7 साल पहले मृत घोषित किया था और उसकी फाइल बंद कर दी थी। उम्र और खराब तबीयत को देखते हुए पुलिस ने कोतवाली में ही उसे जमानत देकर स्वजनों के हवाले कर दिया। मामला सामने आने के बाद पुलिस इस बात की तफ्तीश में भी जुट गई है कि आखिर विवेचना में लापरवाही कैसे हुई।
दरअसल कोतवाली गंगनहर क्षेत्र के नेहरू नगर निवासी रुकमणि कुकरेती ने सिविल लाइंस कोतवाली मे 11 नंवबर 2013 को जमीन की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें सेवाराम (86 वर्ष) निवासी ग्राम हडौली, थाना भौरीकलां, जिला मुजफ्फरनगर, उनके बेटे यशपाल, अमित निवासी ग्राम सकौती, नारसन के अलावा सचिन पाल, अंशुल, मुमेश और विनीत पर मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने मामले को लेकर मुमेश, सचिन पाल अंशुल, विनीत को गिरफ्तार किया था। वहीं साल 2014-15 में अलग-अलग आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। इस दौरान कई विवेचक इस मुकदमे की जांच करते रहे। गिरफ्तार आरोपितों के बयान के आधार पर बिना तस्दीक किए हुए विवेचकों ने सेवाराम को मृत मान लिया।
बेटे ने कहा पापा जिंदा हैं
करीब दो महीने पहले अगस्त 2020 में इस मामले की जांच कोतवाली के वरिष्ठ उप निरीक्षक प्रदीप कुमार को मिली। इस मामले में फरार चल रहे सेवाराम के बेटे यशपाल और अमित की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए थे। मामले में 9नौ सितंबर 2020 को यशपाल को गिरफ्तार किया था। यशपाल से जब उसके पिता के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि उसके पापा सेवाराम जिंदा हैं। उनकी तबीयत खराब होने के कारण अस्पताल में उपचार चल रहा है। ये सुन पुलिस दंग रह गए। जिसके बाद फिर से सेवाराम का नाम मुकदमे में शामिल कर जांच की गई। उसे गिरफ्तार करने गए लेकिन वो अस्पताल में था। उसे कोतवाली आने को कहा।
वहीं इसके बाद शनिवार को सेवाराम खुद परिवार वालों के साथ कोतवाली पहुंचा। विवेचक ने उसे गिरफ्तार कर कोतवाली से ही जमानत देकर छोड़ दिया। सिविल लाइंस कोतवाली प्रभारी निरीक्षक राजेश साह ने बताया कि आरोपित सेवाराम की उम्र और खराब तबीयत को देखते हुए कोतवाली में ही जमानत देकर स्वजनों के हवाले कर दिया गया। किस स्तर से लापरवाही हुई है। इस बावत अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।