गौर हो की इससे पहले आलोक वर्मा को पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाले उच्चस्तरीय पैनल ने सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटा दिया था। जिसके बाद वर्मा का ट्रांसफर कर उन्हें डीजी, फायर सर्विस सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स बनाया गया।
फायर सर्विस का डीजी पद ठुकराया, ये लगाए आरोप
लेकिन शुक्रवार को आलोक वर्मा ने फायर सर्विस का डीजी पद ठुकराते हुए सर्विस से ही इस्तीफा दे दिया। इससे पहले, उच्चस्तरीय पैनल की तरफ से सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाए जाने के बाद वर्मा ने दावा किया कि उनका तबादला उनके विरोध में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने भ्रष्टाचार और कर्त्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में गुरुवार को आलोक वर्मा को पद से हटा दिया।
इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए वर्मा ने गुरूवार की देर रात पीटीआई को जारी एक बयान में कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते सीबीआई की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए।
मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है-वर्मा
उन्होंने कहा कि इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए। मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। इसे केन्द्र सरकार और सीवीसी के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया।