ब्यूरो- शराब का नशा तो दिलो-दिमाग पर रहता ही है, इसका धंधा भी सिर चढकर बोलता है। क्या आम और क्या खास। मदिरा में जरा भी दिलचस्पी रखने वाली जमात में सबकी हसरत रहती है कि एक दुकान उनके नाम भी होती। उत्तराखंड में शराब की दुकान लॉटरी ही मानी जाती है इसलिए शायद इसका आंवटन भी लॉटरी की तरह ही होता है। बहरहाल असल बात ये है कि शराब के कारोबारियों को मजे आने वाले हैं। उसकी वजह है चुनाव को लेकर राज्य में लागू आदर्श चुनाव संहिता। 11 मार्च को चुनाव नतीजे आने है।ऐसे में तय है कि एक अप्रैल तक नई सरकार नई शराब नीति नही बना पाएगी। लिहाजा एक महीने के लिए पुराने ठेकेदारों के परमिट ही रैन्यू किए जा सकते हैं। लेकिन सभी ठेकेदारों को एक महिने अतिरिक्त शराब बिक्री की इजाजत मिल जाएगी ऐसा मुमकिन नहीं है। उसकी वजह है माननीय सुप्रीम कोर्ट का वो आदेश जिसके मुताबिक नए वित्तीय वर्ष में कोई भी शराब का ठेका मेन हाईवे पर नहीं होगा। लिहाजा जो मदिरालय हाईवे से 500 मीटर पीछे हैं उनकी एक महीने मौज रहने की संभावना जताई जा रही है।