देहरादून: शराब माफिया घोंचू की जहरीली शराब ने सात लोगों की जान ले ली। फिर भी घोंचू पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पुलिस से लेकर नेता तक हर कोई शराब के मुख्य सप्लायर को पकड़ने के बयान दे रहे हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से घोंचू को बचाने में जुटे हैं। बीजेपी में कई ऐसे सफेदपोश हैं, जिनका हाथ घोंचू पर है।
मंत्री हो या विधायक सबके चुनाव में घोंचू की शराब का नशा चढ़ता है। आलम यह है कि कोई घोंच पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। पिछले दिनों ही घोंचू के ठिकाने पर आबकारी विभाग ने छापा मारा था। आबकारी विभाग को काफी कुछ हाथ भी लग गया था, लेकिन ऊपर से आए दबाव ने अधिकारियों को अपने कदम पीछे खीेंचने पर मजबूर कर दिया था।
जानकारी के अनुसार हर चुनाव में नेताओं की पार्टियों में घोंचू ही शराब पहुंचाता है। घोंचू को मुफ्त शराब के बदले नेताओं का संरक्षण मिलता है। यही कारण है कि घोंचू हर बार पुलिस और आबकारी विभाग की चंगुल से निकल जाता है। सवाल ये है कि क्या इस बार घोंचू कानून की गिरफ्त में होगा या फिर अपने आकाओं की पहुंच से बच निकलेगा।