देहरादून शहर का एक बाहरी इलाका रात को एक बजे का सीन. एक छोटा हाथा दो नंबर की देसी शराब से भरा हुआ. इलाके के मेन चौराहे से निकलता है. चौराहे की ड्यूटी पर तैनात दरोगा जी गाड़ी को रोकते हैं और गाड़ी वाला बोलता है…बंटी-बबली…और दरोगा जी गाड़ी में मौजदू दारु को नजरअंदाज करके गाड़ी को इशारा करके निकल जाते हैं.
सीन नं. 2
देहरादून शहर में मौजूद कोने का एक बड़ा सा थाना. थाने के प्रगण में एक आलीशान गाड़ी घुसती है और गेट में मौजूद संतरी गाड़ी में बैठे नौजवानों से दोस्ताना हाथ मिलाता है. गाड़ी थाने के प्रंगण में खड़ी होती है और दोनों युवक थाने के अंदर पहुंचते हैं. दरोगा जी के कमरे में दरोगा जी नहीं है. उनमे से एक युव दरोगा जी की कुर्सी में ही बैठ जाता है औऱ दरोगा जी को फोन करता है…अरे यार कहां हो तुम. दरोगा जी बोलते हैं अभी आ रहा हूं…और 5 मिनट बाद ही दरोगा जी आ जाते हैं. दरोगा जी को बंटी का अपनी कुर्सी पर बैठना जरा भी खराब नहीं लगता, बल्कि वह खुशी-खुशी उससे गले मिलते हैं.
इस क्षेत्र में पुलिस की नहीं बल्कि बंटी-बबली की चलती है
जी हां अब आह समझ ही गए होंगे कि ये बंटी-बबली कितने ताकतवर हैं. जी हां देहरादून शहर के बीच एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां पर पुलिस की नहीं बल्कि बंटी-बबली की बात चलती है. बंटी-बबली कोई लड़का-लड़की नहीं बल्कि दो पार्टनर हैं जो बंटी-बबली के नाम से क्षेत्र में कुख्यात हैं. लेकिन क्षेत्र की पुलिस को नजराना बांटन के लिए विख्यात हैं. क्षेत्र में मौजूद 10 किमी के दायरे में शहरी क्षेत्र हो या गांव बंटी-बबली की दो नंबर की शराब का धंधा शराब के बड़े-बड़े ठेकेदारों को भी झुका देता है. बंटी-बबली की दया है कि क्षेत्र में मौजूद रात के 2 बजे भी देसी या अग्रेजी दारु महज 20 रुप.ये पव्वा बढ़ाकर खरीदी जा सकती है.
शराब व लड़कियों की करते हैं होम डिलीवरी
यही नहीं चौबीसों घंटे मौजूद बंटी-बबली की शराब और लड़कियों की होम डिलीवरी नेताओं से लेकर पुलिस के अधिकारियों तक बंटी-बबली को आंखों का तारा बनाए रखने में माकूल सहायक होते हैं. शराब और लड़की की सप्लाई के साथ-साथ मुह मांगा नजराना पेश करने के लिए बंटी-बबली पूरे विभाग में विख्यात हैं.
पूरा थाना बंटी-बबली के आगे नतमस्तक होता है
जानकारों की मानी जाए तो पूरे थाने को मिलने वाली तन्ख्वाह से दोगुना तन्ख्वाह बंटी-बबली नजराने के रुप में चढ़ा देते हैं…और पूरा थाना बंटी-बबली के आगे नतमस्तक होता है.
देखना ये होगा कि इस खबर के छपने के बाद देहरादून की कर्मठ पुलिस कप्तान क्या उस थाने को उस क्षेत्र को बंटी-बबली से मुक्त करा पाएंगे या उसे थाने को बंटी-बबली के चुंगल से बचा पाएंगी. या ऐसे ही बंटी-बबली की बादशाहत बदस्तूर कायम रहेगी.