देहरादून: उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों में से सबसे हाट सीट नैनीताल सीट को ही माना जा रहा था, लेकिन चुनावी नतिजों ने ये जाहिर कर दिया कि ये केवल जुबानी हाॅट सीट थी। सीट की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को जिस दिन पार्टी ने नैनीताल सीट पर प्रत्याशी बनाया था। उसी दिन से कायास लगने शुरू हो गए थे कि हरीश रावत के मुकाबले अजय भट्ट कमजोर प्रत्याशी हैंे। नैनीताल की जनता ने ये बता दिया कि कमजोर प्रत्याशी अजय भट्ट नहीं हरीश रावत थे।
नैनीताल सीट पर दोनों प्रत्याशी ऐसे थे जो 2017 का विधान सभा चुनाव हारे हुए थे। वह भी तब, जब हरीश रावत मुख्यमंत्री के तौर पर चुनाव लड़े थे और अजय भट्ट प्रदेश अध्यक्ष के साथ नेता प्रतिपक्ष के नाते चुनाव लड़े थे। ऐसे में दोनों दल में पार्टी हाईकमान तक सीधी पकड़ रखने वाले दोनों नेताओं को पार्टी ने विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी लोेकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया और लोकसभा पहुंचने का मौका दिया। ज्यादा सियासी तजुर्बा रखने वाले हरीश रावत इस मौके को गंवा गए और अजय भट्ट से बुरी तरह चुनाव हार गए।
मिथक तोड़ने में कामयाब रहे भट्ट
अजय भट्ट के साथ उत्तराखं डमें एक मिथक जुड़ा हुआ था, वह यह था कि जब-जब अजय भट्ट विधान सभा का चुनाव जीतते हैं। भाजपा की प्रदेश में सरकार नहीं बन पाती है और जब-जब अजय भट्ट चुनाव हारते हैं। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है। इस बार भी सबकी जुबान पर यही मिथक सुनने को मिल रहा था कि यदि अजय भट्ट हारे तो बीजेपी की सरकार केंद्र में बनना तय है और अगर जीते तो शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबार पीएम पद की शपथ न लें, लेकिन इस बार अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा से बाहार आकार नैनीताल सीट से चुनाव लड़ रहे थे और वह मिथक थोड़ने में कामयाब रह,े जो उनका पिछा नहीं छोड़ रहा था। प्रदेश में सबसे ज्यादा रिकार्ड मतों से जीत भी दर्ज की वह भी हरीश रावत के खिलाफ, जो उत्तराखंड के कांग्रेस में मजबूत चेहरे है। अजय भट्ट ने पिछली बार भगत सिंह कोश्यारी के जीत के अंतर से भी बड़ी जीत हासिल की।
राष्ट्रीय स्तर पर भट्ट का पार्टी में कद बड़ाना तय
यूं तो प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते अजय भट्ट का कद उत्तराखंड में बहुत उपर है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के भीतर अयज भट्ट का कद बढ़ना तय है। क्योंकि भाजपा ने जो भी जिम्मेीदारियों अजय भट्ट को सौंपी है उसे उन्होने बखूबी निभाया है,चाहिए प्रदेश अध्यक्ष की प्रदेश में जिम्मेदारी रही हो या फिर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी। एक बार फिर जब पार्टी ने उन्हे हरीश रावत को हारानी कि जिम्मेदारी सौंपी तो उस जिम्मेदारी को भी अजय भट्ट ने उस तरह से निभाया जिसकी आस न तो उत्तराखंड की जनता को थी ने कांग्रेस और यहां तक कि भाजपा नेताओं को भी इसका एहसास नहीं था कि अजय भट्ट 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हरीश रावत को हराकर लोकसभा पहुंचेगे। ये तय माना जा रहा है कि अजय भट्ट का कद बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ना तय है।