देहरादून: वन मंत्री हरक सिंह रावत पिछले दो दिनों से एक्शन में नजर आ रहे हैं। हरक सिंह रावत ने पहले वन विभाग के मुखिया के विदेश दौरे को लेकर सीधे सीएम पर निशाना साधा अब लालाढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग निर्माण के बहाने एक बार फिर सरकार को ही तारगेट पर लिया है। हरक सिंह रावत ने अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। हरक सिंह रावत यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री को फाइल पर साइन करने का अधिकार है। इसके जवाब में हरक सिंह रावत ने कहा कि फिर मंत्रियों की जरूरत ही क्या ?
मुख्यमंत्री को अधिकार: अजय भट्ट
हरक सिंह रावत ने वन विभग के मुखिया जयराम के विदेश दौरे को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने मामले को लेकर नाराजगी भी जताई। उनका इशारा साफतौर सीएम की तरफ था कि कैसे बगैर विभागीय मंत्री की अनुमति के वन विभाग के मुखिया को विदेश दौरे पर जाने की अनुमति दी जा सकती है। जबकि प्रदेश में जंगल धूं-धंू कर जल रहे हैं। हरक सिंह रावत के बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को फाइलों पर हस्ताक्षर करने का अधिकार है।
फिर तो मंत्रियों की जरूरत क्या ?
अजट भट्ट के इस बयान के बाद हरक सिंह रावत का बयान सरकार और संगठन दोनों के लिए आइने की तरह है। उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि उनको इतना तो पता है कि कौन से ही फाइल कहां से जाती है और उस पर कौन किस परिस्थिति में हस्ताक्षर कर सकता है। हरक सिंह रावत ने कहा कि इस तरह तो प्रदेश में मंत्रियों की जरूरत ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सचिव मंत्री के काम नहीं कर सकता। कार्मिक विभाग को पत्रावली उनके पास भेजनी चाहिए थी।
पूर्व सीएम हरीश रावत का उदाहरण दिया
हरक सिंह रावत ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम हरीश रावत भी इसी तरह उनको बायपास करते थे। तब भी उन्होंने मामले को कैबिनेट में उठाया था। अब फिर से वैसा ही हो रहा है, तो फिर से मामले को उठा रहा हूं। हरक सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर शिकायत करूंगा। कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर फिर से ऐसा नहीं करने के लिए कहा है।