देहरादून । गैरसैंण को लेकर दिए अपने हालिया बयान पर चारों तरफ से घिरने के बाद अब अजय भट्ट के सुर बदल गए हैं। सीएम त्रिवेंद्र की खरी खरी के बाद अब अजय भट्ट भी कह रहें हैं कि विधानसभा का सत्र कहां कराना है ये सरकार का विषय है। यही नहीं अजय भट्ट अब सीएम को सलाह भी दे रहें हैं कि पत्रकारों के सवालों का जवाब मुस्कुरा कर दें। गुस्से में जवाब देने से पत्रकार गलत मतलब निकाल लेते हैं।
आपको याद दिला दें कि शीतकालीन सत्र गैरसैंण में न करने के फैसले पर अजय भट्ट ने कहा था कि वो भी नहीं चाहते थे कि सत्र गैरसैंण में हो। इस बयान के बाद सीएम ने अजय भट्ट को खरी खरी सुनाई थी और कहा था कि सत्र कहां वो ये फैसला सरकार का है किसी और का नहीं।
वहीं अपने बयान पर घिरे अजय भट्ट पूरी तरह बैकफुट पर आ चुके हैं तो ये भी साफ हो गया है कि सरकार और संगठन में गैरसैंण को लेकर एक राय नहीं है।
मुख्यमंत्री पत्रकारों के सवालों के जवाब हंसी से दे
अजय भट्ट ने कहा है कि वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे के पत्रकारों के सवालों का जवाब गुस्से में न दें नही तो पत्रकार बयान का गलता मतलब निकालते हैं। कुल मिलकार अजय भट्ट अपने बयान पर बुरे फंसे हैं जिस तरह से अब वह मुख्यमंत्री को बयान हंसी में देने की सलाह दे रहे है उसे अजय भट्ट पर भी सवाल खड़ा होता है कि अगर आप इस तरह का बयान न देते तो मुख्यमंत्री को आप हंसी से जवाब देने के लिए न कहते।
सत्र में सोने के लिए नहीं मिली थी जगह
अजय भट्ट जब अपने बयान पर घिर रहे है तो अजय भट्ट तो यहां तक कह रहे है कि पिछली बार जब गैरसैंण में सत्र हुआ था तब उन्हे रात रहने को जगह नहीं मिली थी,जैसे जैसे रात 12 बजे के बाद उन्हे रहने के लिए सचिव का कमरा मिला जो सत्र में उउस दिन नहीं पहुंचे थे जबकि उनके गनर और ड्राइवर तो रात में गाड़ी में ही सोए थे।
ये बात सही है कि गैरसैंण में सत्र के आयोजन के दौरान अव्यवस्थाएं हावी रहती है,लेकिन जब गैरसैंण के नाम पर वोट लेना हो तो तब किसी भी पार्टी को वो अव्यवस्थाएं नजर नहीं आती है लेकिन देखना ये होगा कि जब मसला गैरसैंण में सत्र के आयोजन कराने और न कराने को लेकर सियासत गर्म है तो शीतकालीन सत्र में जब ये मसला उठेगा तो विधायकों की क्या – क्या प्रतिक्रिया इस पर देखने को मिलती है।