ब्यूरो- उड़ीसा में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक से 17 तारीख को उत्तराखंड लौटते हुए सफर के दौरान बैठक में शामिल हर भाजपाई के मस्तिष्क में आलाकमान के टिप्स कौंध रहे होंगे। लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट जरूरत से ज्यादा माथापच्ची कर रहे होंगे।
दरअसल उत्तराखंड लौटने के बाद जहां अजय भट्ट को जहां आलाकमान से मिली नसीहतों को अमल में लाने का दबाव होगा, वहीं सत्ता और संगठन के बीच जनता की जरूरतों के मुताबिक तालमेल कायम करने का प्रेशर भी होगा। इन सबके बीच भट्ट के सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठन को मजबूत करने की भी होगी।
टीएससरकार में भाजपा संगठन के कई पदाधिकारियों को शामिल होने का मौका मिला है जबकि अभी संगठन से जुड़े कई और पदाधिकारियों का भी दायित्वधारी के रूप मे एडजस्टमेंट होना बाकी है। ऐसे मे भाजपा संगठन के खाली पदों पर तैनाती देना भट्ट के लिए एक बड़ी चुनौती होगा।
हालांकि उड़ीसा की उड़ान भरने से पहले भट्ट साफ कर चुके हैं कि राष्ट्रीय कार्यसमिति के बाद सूबे में जिलास्तर और मंडल स्तर की कार्यसमिति की बैठक का आयोजन होगा और उसके बाद संगठन को मजबूत बनाने के इरादे से जहां खाली पदों पर भरती होगी वहीं कुछ को दायित्व दिलवाया जाएगा।
भट्ट की माने तो अनुभव के साथ-साथ युवाओं को भी दायित्व और संगठन में तरजीह दी जाएगी ताकि आने वाले वक्त में नए नेतृत्व को उभरने और अनुभव हासिल करने का मौका मिल सके।
ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष को अपनी टीम को मजबूत तो बनाना ही है साथ ही साथ संगठन की सेवा के बाद सरकार में दायित्व का मेवा दिलाने में भी अहम किरदार निभाते हुए कार्यकर्ताओँ की पैरवी भी करनी है। बहरहाल देखना ये दिलचस्प होगा कि किस-किस को कहां-कहां जगह मिलती है।