ऋषिकेश कोतवाली पुलिस ने सरोगेट मदर द्वारा धोखाधड़ी से छुपाए गए बच्चे को 4 साल बाद बरामद किया और उसे उसकी माता पिता के पास सकुशल पहुंचाया। आपको बता दें बीते 4 साल पहले सेरोगेट मदर केे दो जुड़वा बच्चे हुए थे लेकिन एक बच्चेे को मरा हुआ बताकर छुपा लिया जिसे 4 साल बाद पुलिस ने सकुशल बरामद किया।
दरअसल कोतवाली ऋषिकेश में 6 मार्च को विजयवर्धन सिहं रावत पुत्र राजेन्द्र सिहं रावत निवसी आशुतोष नगर देहरादून द्वारा थाना ऋषिकेश पर सूचना दी कि वर्ष 2014-2015 में उनके द्वारा एक सेरोगेट मदर नूपुर उर्फ अजन्ता निवासी मेरठ को हायर किया गया था, जिसका प्रारम्भिक ईलाज मेरठ के सिहं टेस्ट ट्यूबी बेबी सेन्टर अस्पताल में प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भिक ईलाज के उपरान्त नुपुर सिहं उपरोक्त द्वारा पश्चिम बंगाल जाकर दो बच्चों को जन्म देने के बावजूद वादी मुकदमा को एक ही बच्चा यह कहकर सुपुर्द किया कि एक बच्चा मृत पैदा हुआ था, जबकि दोनों बच्चे वादी के जानकारी के अनुसार जिन्दा पैदा हुए थे।
वादी विजयवर्धन द्वारा स्वयं के साथ धोखाधड़ी होने के सम्बन्ध में नुपुर उर्फ अजन्ता के विरूद्ध कोतवाली ऋषिकेश पर मु0अ0सं0 95/2018, धारा 420 भादवि पंजीकृत कराया गया, जिसकी विवेचना उप निरीक्षक राजेश सिंह के द्वारा की गयी।
मामले की संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कुशल निर्देशन में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण महोदय व क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की गयी।
गठित पुलिस टीम द्वारा साक्ष्य एकत्रित करते हुये व गवाहों के बयान से सिहं टेस्ट ट्यूबी बेबी सेन्टर अस्पताल मेरठ जाकर जानकारी ली की कि रंजना व नुपुर उपरोक्त का प्रारम्भिक ईलाज उक्त अस्पताल से ही प्रारम्भ हुआ था। नुफुर उर्फ अजन्ता वर्तमान में जयगांव अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल में रह रही है जिसके पास वादी मुकदमा का दूसरा बच्चा भी है, जिसके द्वारा मां सेवा नर्सिगं एवं डायग्नोस्टिक सेन्टर इथखोला अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल में वर्ष 2015 में दो जिन्दा बच्चों को जन्म दिया गया था। इस पर समस्त आवश्यक सूचना एकत्रित कर पुलिस टीम द्वारा अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल जाकर उक्त अस्पताल में नुपुर उपरोक्त द्वारा दो जिन्दा बच्चों के जन्म देने की पुष्टि की गयी व सम्बन्धित अस्पताल से उक्त सम्बन्ध में नुपुर उपरोक्त के डिलीवरी के दौरान भर्ती होने तथा डिस्चार्ज होने सम्बन्धी समस्त साक्ष्य एकत्रित कर विवेचना में संम्मलित किये गये व पश्चिम बंगाल की लोकल पुलिस व मुखवीरों व सर्विलांस की मदद से नपुर उर्फ अजन्ता पत्नी पवन नि0 जयगांव (निकट भूटान बार्डर) अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल को जयगांव के पास से अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के समय अजन्ता उपरोक्त के पास कोई बच्चा नही था, जिसको अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल के कोर्ट में पेश कर नियमानुसार ट्रांजिट रिमाण्ड के उपरान्त जनपद देहरादून लाया गया व सम्बन्धित न्यायालय में पेश किया गया। अभियुक्ता द्वारा बच्चे की बरामदगी के आश्वासन पर अभियुक्ता का सम्बन्धित मा.न्यायलय से 08 दिवस का पुलिस कस्टडी रिमाण्ड लेकर पुनः पश्चिम बंगाल जाकर बच्चे के सम्बन्धित सभी सम्भावित स्थानों पर खोजबीन की गयी। अभियुक्ता द्वारा उक्त बच्चे जिसका नाम उसके द्वारा गोलू रखा गया था के स्कूल मे जाकर भी पूछताछ की गयी। अभियुक्ता के जयगांव अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल वाले किराये के मकान व मायका बापूपडा अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल जाकर भी गोलू के सम्बन्ध में खोजबीन की गयी परन्तु गोलू उपरोक्त का कुछ पता नही चल पाया।
अभियुक्ता द्वारा अपने बयानों पर बताया कि गोलू को गिरफ्तारी से पूर्व सुमित जो कि मेरा दोस्त है अपने साथ घूमाने ले गया था, कहा ले गया मुझे इसकी जानाकरी नहीं है और ना ही उसके स्थायी पते के सन्दर्भ में मुझे कोई जानकारी है बस हम दोनों साथ रहते थे और भूटान में एक साथ काम करते थे। इस पर हमारे द्वारा सर्विलांस की सहायता से भी सुमित व बच्चे की खोजबीन के प्रयास किये गये व सुमित व नुपुर उर्फ अजन्ता के भूटान मे काम करने के कारण सुमित व गोलू के वहां होने की सम्भावना होने पर लोकल पुलिस की सहायता से भूटान बार्डर में भी सुमित व गोलू के खोजबीन के प्रयास किये गये। यहां तक की बांग्लादेश बार्डर के नजदीक थाना मैखली गंज (निकट बंगलादेश बार्डर) में भी सुमित व गोलू के मौजूद होने की सम्भावना पर गहन खोजबीन की गयी परन्तु कोई सफलता नही मिल पायी। अभियुक्ता को जेल में 60 दिन की अवधि पूर्ण होने की दशा मे पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्ता नुपुर उर्फ अंजता के विरुद्ध गोलू उपरोक्त की सुरागरसी पतारसी जारी रखते हुये दिनांक 5 सितंबर को आरोप पत्र सं0 308/18 प्रेषित किया गया। अभियुक्ता वर्तमान में उक्त मुकदमें में सुद्धोवाला जेल में निरुद्ध है।
मुकदमा वादी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पास जाकर बार-बार बच्चे की बरामदगी के लिए आग्रह किया था जिस पर एसएसपी ने पुलिस अधीक्षक देहात एवं क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के निर्देशन में फिर पुलिस टीम गठित कर चार अलग-अलग पुलिस टीमें (सादा वस्त्र एवं वर्दी) में नियुक्त कर बच्चे की बरामदगी के लिए रवाना की.
1- सादा एवं वर्दी में चार अलग-अलग पुलिस टीमों का गठन किया गया।
2- पुलिस टीम द्वारा वेस्ट बंगाल/ बांग्लादेश एवं बिहार आदि अलग-अलग जगह पर दबिश दी गई।
3- उपरोक्त मामले में पूर्व में जेल गई अभियुक्ता के रिश्तेदारों से भी पूछताछ की गई।
4- उपरोक्त केस से संबंधित सभी लोगों के नंबरों को लगातार सर्विलांस के द्वारा भी ट्रेस किया गया।
5- मुखबिर तंत्र को भी लगातार सक्रिय रखा गया।
पुलिस टीम द्वारा बच्चे की बरामदगी को लेकर मुकदमें में पुनः नये सिरे से कार्य आरम्भ करते हुये अभियुक्ता के मायके अलीपुर द्वार पश्चिम बंगाल, सम्भावित स्थान अलीगढ़ व मेरठ उत्तरप्रदेश में जाकर बच्चे की मौजूदगी के सम्बन्ध में सूचना एकत्रित की गयी व मुखबिर तन्त्र को सक्रिय करते हुये सर्विलांस की भी मदद ली गयी।पुलिस टीम को जानकारी मिली कि वादी का दूसरा बच्चा वर्तमान में अभियुक्ता की रिस्तेदारी में घर बदल-बदल कर अभियुक्त द्वारा गोपनीय रूप से छिपाया जा रहा है व वर्तमान में किसी अज्ञांत स्थान पर मेरठ व अलीगढ में रह रहा है। पुलिस टीम द्वारा सर्विलांस व मुखबिर की मदद से अभियुक्ता नुपुर उर्फ अजन्ता के मेरठ व अलीगढ में रह रहे सारे बंगाली (पश्चिम बंगाल के निवासियों) रिस्तेदारों के सम्बन्ध में जानकारी एकत्रित की गयी। अन्त में जानकारी प्राप्त हुई कि सदर बाजार मेरठ में बंगालियों का काली मन्दिर है, जिसमें नुपुर उर्फ अजन्ता द्वारा अपने रिस्तेदार पण्डित गौतम मुखर्जी पुत्र स्व0 मनेन्दर मुखर्जी निवासी कौश्यल्या धर्मशाला, रूड़की रोड़ पल्लमपुरम मेरठ उ0प्र0 के माध्यम से काली मन्दिर सदर बाजार मेरठ उप्र. में रखा हुआ है।
इस सूचना पर 10 मार्च पुलिस टीम द्वारा आवश्यक कार्यवाही करते हुये योजना बनाकर काली मन्दिर मेरठ में दबिस दी गयी, जहां से पुलिस टीम को अभियुक्त पण्डित गौतम मुखर्जी को बच्चे को साथ ले जाते हुये गिरफ्तार किया गया व बच्चे को सकुशल बरामद कर थाना ऋषिकेश लाया गया।
पूछताछ विवरण
गौतम मुखर्जी द्वारा बताया गया कि लगभग 10-11 महिने पूर्व अजन्ता उर्फ नुपुर द्वारा सम्पूर्ण मामले की जानकारी देते हुये उपरोक्त बच्चे को हमारे पास छोड़ा गया था तब से मै ही बच्चे की देखभाल व मुकदमें की पैरवी कर रहा हॅं।
1- पुलिस से बचने के चक्कर में बच्चे को कभी अपने पास कौश्ल्या धर्मशाला मेरठ व कभी काली मन्दिर सदर बाजार मेरठ में रिस्तेदारी में रखता था।
2- बच्चे का हुलिया भी बदलता रहता था, जिससे किसी की पहचान में नहीं आए।
3- समय-समय पर उक्त बच्चे को अलग-अलग स्थानों पर रखता था।
4- बच्चे को कोई पहचान ना सके इसलिए मैंने उसको स्कूल भी नहीं भेजा
5- मंदिर धर्मशाला में बच्चे को इसलिए छुपाता था क्यों की इन जगह पर हमारे समुदाय के लोग अत्यधिक थे एवं अत्यधिक भीड़ होने के कारण कोई बच्चे को पहचान नहीं पाता.
अभियुक्त को माननीय न्यायालय पेश किया जायेगा व बच्चे को माननीय न्यायालय के आदेशानुसार सुपुर्दगी में दिया जायेगा।.
नाम पता अभियुक्त –
पण्डित गौतम मुखर्जी पुत्र स्व. मुखर्जी निवासी कौश्यल्या धर्मशाला, रूड़की रोड़ पल्लमपुरम मेरठ उ.प्र.
पुलिस टीम
1- प्रभारी निरीक्षक रितेश साह
2- व.उ.नि. मनोज नैनवाल
3- उ.नि. राजेश सिंह
4- का0 1185 नवनीत सिंह नेगी
5- का. 823 मनोज कुमार
6- कां. 604 नीरज गुलेरिया