पहाड़ की दुश्वारियां और भराड़ीसैंण की ठंड शायद कोई ज्यादा दिन तक नहीं झेल पाया। इसलिए ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चार दिन की चांदनी के बाद फिर सन्नाटा पसर गया है। इस बार भी आनन-फानन में ही सत्र को निपटा दिया गया।
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गैरसैंण में चार दिन की चांदनी के बाद फिर पसरा सन्नाटा
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की ठंड कोई ज्यादा दिन तक झेलना नहीं चाहता है। इसलिए इस बार भी हर बार की तरह सत्र को जल्दी से आनन-फानन में निपटा दिया गया। भराड़ीसैंण के परिसर में चार दिन की चांदनी के बाद फिर सन्नाटा पसर गया है।
छह दिन के कामकाज को चार दिन में ही निपटा के कई विधायक और अफसरान रातों-रात अपने-अपने गंतव्यों को चले गए। जहां तीन-चार दिन पहले भराड़ीसैंण के परिसर वाहनों से ठसाठस भरा हुआ था। तो वहीं आज भराड़ीसैंण के परिसर में केवल खामोशी थी।
पहाड़ की दुश्वारियां और भराड़ीसैंण की ठंड सहने को कोई नहीं तैयार
पहाड़ की दुश्वारियां और भराड़ीसैंण की ठंड सहने को शायद कोई भी तैयार नहीं है। इसलिए तो यहां आने के बाद सत्तापक्ष हो या विपक्ष दोनों ही वापसी के दिन गिनने लगते हैं। इस बार भी सत्र के पहले दिन से ही लोगों की जुबान पर सिर्फ एक ही सवाल था कि सत्र कितने दिन चलेगा।
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हर बार की तरह इस बार भी आनन-फानन में सत्र निपटाने की पटकथा लिखी गई। इसके साथ ही छह दिन के कामकाज को चार दिन में ही निपटा दिया गया। इस पटकथा के किरदार पक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर थे। विरोध, नाराजगी, हंगामा और बगैर चर्चा के विधेयकों और विभागों के बजट की फटाफट मंजूरी इस पटकथा के प्रमुख हिस्से थे।
21 घंटे 26 मिनट ही चली सदन की कार्रवाही
भराड़ीसैंण में चार दिनों में बजट सत्र की कार्यवाही 21 घंटे 36 मिनट तक ही चली। भराड़ीसैंण में हुए चार दिन के बजट सत्र में विधानसभा को 603 प्रश्न प्राप्त हुए। जिसमें स्वीकार 8 अल्पसूचित प्रश्न में 1 उत्तरित हुआ है। जबकि 180 तारांकित प्रश्न में 46 उत्तरित, 380 आताराकिंत प्रश्न में 197 उत्तरित, कुल 29 प्रश्न निरस्त किए गए।