अवसाद या डिप्रेशन में कई तरह की समस्याएं होती हैं। इस समस्या में काफी लोगों को नींद भी नहीं आती है। मीडिया रिपोर्च की मानें तो इसकी वजह जानने के लिए तकरीबन 100 साल से अध्ययन में लगे विशेषज्ञों ने इसकी वजह बताई है। इनका कहना है कि दिमाग के तीन हिस्से डिप्रेशन में एक दूसरे से मजबूती से जुड़ जाते हैं। इसके कारण पीडि़त शख्स के दिमाग के बुरे ख्याल आते हैं और उसकी नींद उड़ जाती है।
नकारात्मक विचार डालते हैं नींद में खलल
यह अध्ययन वारविक यूनीवर्सिटी के शोधाकर्ता ने किया है। इससे दुनिया में डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे लाखों लोगों को मदद मिल सकेगी। डिप्रेशन के मरीजों को रात में नींद नहीं आने के कारणों को तलाशने के लिए दुनिया के कई देशों के विशेषज्ञ 100 साल से शोध में जुटे थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि डिप्रेशन के शिकार लोगों को सोने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्हें बुरे-बुरे ख्याल आते हैं, नकारात्मक भावनाएं और खुद को लेकर हीन भावना जैसी सोच आपस में जुड़ जाती है।
विशेषज्ञों को मिलेगी मदद
प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर जियानफेंग का कहना है कि अध्ययन के यह नतीजे डिप्रेशन के मरीजों के इलाज के नए रास्ते खोलेंगे। उनकी नींद से जुड़ी समस्या का थेरेपी या गोलियों से इलाज करने में विशेषज्ञों को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन और नींद का संबंध काफी गहरा है। अब पहली बार इन दोनों के बीच न्यूरल मेकेनिज्म का पता लगाने में हम सफल हुए हैं।
डिप्रेशन के एक तिहाई मरीजों को सोने में दिक्कत
दुनिया में तकरीबन 21 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह के डिप्रेशन के शिकार हैं। पहले हुए शोध में यह साबित हुआ है कि डिप्रेशन के एक तिहाई मरीजों को सोने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इनमें से ज्यादातर मरीज पूरी-पूरी रात नहीं सो पाते हैं। इस अध्ययन के लिए विशेषज्ञों ने डिप्रेशन का शिकार 10 हजार लोगों के ब्रेन स्कैन का अध्ययन किया। यह अध्ययन जामा साइकायट्री जर्नल में प्रकाशित हो चुका है।