देहरादून। उत्तराखंड में अब प्राकृतिक आपदाओं के दौरान दी जाने वाली राहत राशि में शासन ने संशोधन किया है। आपदा में मृतक के परिजनों को अब चार लाख के की जगह पर पांच लाख रुपये दिए जाने का निर्णय लिया है। एक लाख की यह अतिरिक्त राशि आश्रितों को फिक्स डिपॉजिट के रूप में मिलेगी। भवन क्षति पर भी अब दो लाख के स्थान पर तीन लाख रुपये दिए जाएंगे। रहने के लिए असुरक्षित घोषित भवनों में निवास करने वाले परिवारों को भी चार हजार रुपये मासिक दर से किराया भत्ते के रूप में भुगतान होगा। यह अधिकतम छह माह तक के लिए अनुमन्य रहेगा। चर्चा यह है कि यह शासनादेश बैकडेट में जारी किया गया है।
राज्य में प्राकृतिक आपदा के दौरान राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) से मानकों के अनुरूप सहायता राशि दी जाती है। राज्य स्तर पर आपदा के प्रकार को देखते हुए इसमें कई बार वृद्धि की जाती है। हालांकि राज्य स्तर पर की गई वृद्धि एक मानसून सीजन यानि 15 जून से 30 सितंबर तक के लिए ही रहती है। बीते वर्ष दिसंबर में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य स्तर से आपदा राहत दरों में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया था। अब इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। सचिव अमित सिंह नेगी की ओर से जारी आदेशों के मुताबिक मानव क्षति के लिए राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) के तहत चार लाख रुपये अनुमन्य है। अब इसमें एक लाख रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई है। भवन क्षति के लिए भी पहले मैदान क्षेत्र में 95 हजार और पर्वतीय क्षेत्रों में एक लाख रुपये का प्रावधान था।
मानसून में भवन क्षति की दर में वृद्धि करते हुए इसे दो लाख रुपये कर दिया गया था। अब शासन ने इसे बढ़ा कर स्थायी रूप से तीन लाख रुपये कर दिया है। क्षतिग्रस्त भवनों के चिह्नीकरण के लिए प्रत्येक उप जिलाधिकारी के स्तर पर तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा। समिति भवनों को पूर्ण क्षतिग्रस्त अथवा मानव निवास के लिए असुरक्षित घोषित करेगी। इसके आधार पर शासन की ओर से प्रभावितों को अनुमन्य राशि दी जाएगी। शासनादेश ने राहत राशि की दरों में वृद्धि से होने वाले व्ययभार को कम करने के लिए भी एक अहम निर्णय लिया गया है। इसके तहत आबकारी व खनन पर सेस लगाया गया है। सेस के लिए अलग निधि बनाई जा रही है। शासनादेश में कहा गया है कि निधि का गठन एवं इसके क्रियाशील होने से पहले वृद्धि की गई दरों का व्ययभार मुख्यमंत्री राहत कोष से किया जाएगा।