देहरादून: एक सप्ताह के भीतर दूनवासियों से हुई में जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसकी परत दर परत खुलती जा रही हैं। अब तक की जांच में इस घटना की सबसे बड़ी वजह जो सामने आई है, वह है स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की लापरवाही। उक्त बैंक ने अगर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ईमानदारी से किया होता तो दूनवासियों को लाखों रुपये की चपत नहीं लगती।
दरअसल, साइबर ठगों ने साजिश के तहत धर्मपुर क्षेत्र में एसबीआइ के दो एटीएम में कीपैड पर फ्लूड लगाकर उनके बटन जाम कर दिए थे ताकि ग्राहक आसपास के उन एटीएम से पैसों की निकासी करें, जहां उन्होंने स्कीमर (स्कीमिंग डिवाइस) लगाए। कीपैड जाम होने की जानकारी बैंक को एक जुलाई को ही हो गई थी, मगर अधिकारियों ने इसे बहुत हल्के में लिया। उन्होंने न तो इस संबंध में पुलिस को जानकारी देना उचित समझा, न ग्राहकों को ही सचेत किया। बैंक की यही लापरवाही दूनवासियों पर भारी पड़ी और जालसाजों ने खाताधारकों को करीब लाख की चपत लगा दी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में जो बात सामने आई है। उसके तहत दून के एटीएम में स्कीमर एक जुलाई से सात जुलाई के बीच लगाए गए। इसी दरमियान साइबर ठगों ने तमाम एटीएम कार्डो का डाटा एकत्र कर उनके क्लोन तैयार किए। वहीं, एसबीआइ के धर्मपुर स्थित दो एटीएम में कीपैड पर फ्लूड लगाकर उसे जाम करने की घटना एक और दो जुलाई की है। जिसकी जानकारी होने पर भी बैंक ने सतर्कता नहीं दिखाई बल्कि बैंक ने चुपचाप फ्लूड निकालकर एटीएम दोबारा चालू कर दिए। पुलिस के अनुसार एटीएम में फ्लूड लगाने का काम भी साइबर ठगों ने ही किया था, जिसके पीछे उद्देश्य यह था कि लोग उन एटीएम में जाएं, जहां उन्होंने स्कीमर लगाए। जालसाज अपनी इस योजना में कामयाब भी हुए। इस बावत एसएसपी स्वीटी अग्रवाल का कहना है कि अगर बैंक ने थोड़ी भी संवेदनशीलता दिखाई होती तो शायद ग्राहक लुटने से बच सकते थे। |