देहरादून- शुरूआती दौर में सूबे की टीएसआर सरकार से यूपी की योगी सरकार से तुलना हुई और महसूस हुआ कि डबल इंजन वाली सरकारी रेल पहाड़ी राज्य में धीमी है। उस वक्त सूबे के सीएम त्रिवेंद्र रावत को कहना पड़ा कि, “पहाड़ो में गाड़ी की रफ्तार मैदानों के मुकाबले कम रहती है।”
लेकिन अब एक साल बाद त्रिवेंद्र सरकार के कामकाज के सलीके और रफ्तार ने उन धारणाओँ को न केवल मिथक बना दिया, बल्कि सीएम के उस बयान को भोथरा साबित कर दिया।
सूबे में त्रिवेंद्र सरकार को एक साल पूरा हो गया है। अनिश्चितांओं भरे माहौल में जब सीएम रावत ने मार्च 2016 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो उस वक्त महसूस हो रहा था कि विषम परिस्थितियों और तमाम तरह की चुनौतियों वाले राज्य में कप्तान बनना त्रिवेंद्र रावत के लिए मुश्किल होगा।
लेकिन धीरे-धीरे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अगुवाई में टीएसआर सरकार ने सुशासन की राह पकड़ी और आज डबल इंजन की सरकार सुशासन की पटरी पर रफ्तार के साथ चल रही है। आज राज्य में मैग्जिम्म गवर्नेंस के लिए ‘समाधान’ और ‘1905′ जैसी पहल से जहां जनता सरकार से सीधे जुड़ रही है वहीं सीएम डैसबोर्ड के जरिए योजानाओं और अधिकारियों पर सरकार की निगाह भी है। ताकि विकास योजनाएं अनाथ बनकर गायब न हो जाएं।
वहीं जो तबादले पिछले सत्रह साल में राज्य की सभी सरकारों के लिए गर्म दूध बने रहे सरकारों की छवि पर सवालियां निशान लगाते रहे उनसे निबटने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य में मजबूत ट्रांसफर एक्ट लागू कर दिया। ऐसे में उम्मीद जाताई जा रही है कि अब कोई भी तबादला उद्योग का आरोप नहीं लगा पाएगा।
सुशासन की राह पर चलते हुए अब राज्य में विकासखंड से लेकर सचिवालय तक सरकारी मुलाजिमों के लिए बायोमैट्रिक हाजिरी का प्रवाधान किया गया है ताकि सरकारी कर्मचारी जिम्मेदार बने और दफ्तर के साथ साथ जनता की अहमियत को समझ सकें।
आम आदमी की ख्वाहिशों से सरकार वाकिफ हो सके इसके लिए आज जिला स्तर से लेकर तहसील और प्रदेश स्तर पर जनता दरबार लगाए जा रहें हैं। कहीं अधिकारी जनता से रु-ब-रू हो रहें तो कही खुद जिलों के प्रभारी मंत्रियों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाया गया है।
त्रिवेंद्र रावत सरकार के एक साल होने पर सुशासन का असर साफ दिखाई दे रहा है। विकास कार्यों की ताजा तस्वीर ये है कि विकास योजनाओं के लिए जारी बजट की जो राशि पिछले दौर में खत्म नहीं हो पाती थी आज अगर पिछले साल के बजट से तुलना की जाए तो मौजूदा सरकार बीस फीसदी ज्यादा विकास कार्यों पर बजट को खर्च कर चुकी है।
इतना ही नहीं राज्य में जारी सेवा का अधिकार कानून का दायरा बढ़ाते हुए त्रिवेंद्र सरकार 162 नई सेवाएं इस कानून में जोड़ी। त्रिवेंद्र सरकार के बनने के बाद आज राज्य में अब कुल 312 सेवाएं कानून अधिकार बन गई हैं। इन सेवाओं के लिए अब अधिकारी या मुलाजिम जिम्मेदार बनेंगे और जरूरतमंद आम आदमी को टरका नहीं पाएंगे। जाहिर सी बात है कि जब सेवाएं वक्त पर मिलेंगी तो आम आदमी के चेहरे पर मुस्कराहट छलकेगी ही।
खबर ये भी है कि सुशासन का असर भी दिखाई दे रहा है, सरकारी आंकड़ो की मानी जाए तो इस साल ऊर्जा विभाग के राजस्व में पिछले साल के मुकाबले 168 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। वहीं परिवहन विभाग ने भी पिछले साल की तुलना में 110 करोड़ रुपए का ज्यादा राजस्व जुटाया है।