चंडीगढ़ : क्रिकेट की पिच से सियासत की पिच पर अब पूरी तरह जम चुके नवजोत सिंह सिद्धू बेशक भारतीय टीम के कप्तान न बन पाये हों, लेकिन पंजाब की सियासी जमीन पर एक नई टीम के साथ उतरने का ऐलान कर चुके हैं। सिंद्धू ने अपनी पार्टी आवाज-ए-पंजाब की घोषणा ये कहते हुए कर दी है कि ये इंकलाबी आवाज़ है और पंजाब के विकास के लिए अपना सब कुछ लगा देगी।
पार्टी के औपचारिक ऐलान के दौरान सिद्धू ने भारतीय सियासी दलों के आलाकमान पर तंज कसते हुए कहा कि यहां अच्छे लोगों को सजावटी समान बनाने की परंपरा चल पड़ी है। अच्छे आदमी को बस प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पंजाब की बादल सरकार के बारे में उन्होंने कहा कि प्रदेश में जनता की सरकार होनी चाहिए, लेकिन यहां आलम ये है कि एक परिवार सरकार चला रहा है। परिवार के इर्द-गिर्द पंजाब को हांका जा रहा है। सिद्धू ने कहा कि आज पंजाब के लोग कहते हैं कि सूबे से काले बादल अब छंटने चाहिए और नए सूरज का उदय होना चाहिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि राज्यसभा से इस्तीफा देने के पीछे ‘आप’ कोई हाथ नहीं है। मैने इस्तीफा अपनी मर्जी से दिया क्योंकि भाजपा मुझसे 2017 के चुनाव में बादल का प्रचार कराना चाहती थी जो मुझे मंजूर नहीं था। सिद्धू ने भाजपा पर आरोप लगाते हुृए कहा कि भाजपा ने उन्हें अमृतसर से निकालने की साजिश रची थी।
इसके साथ ही सिद्धू ने केजरीवाल को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि ‘आप’ वाले मुझे अपने साथ रखना तो चाहते थे, लेकिन शो पीस बनाकर। उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि केजरीवाल ने मुझसे कहा कि मैं चुनाव ना लड़ू बल्की अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाऊ, केजरीवाल को हां में हां मिलाने वाला आदमी चाहिए जो मैं नहीं हूं। पंजाबी कभी बेमतलब यस बॉस नही कह सकता।सिद्धू ने कहा मैं पंजाब की सेवा करना चाहता हूं मैं चार बार सांसद रहा हूं। पार्टी का ऐलान हो चुका है देखना ये है कि आवाज-ए-पंजाब की आवाज पंजाब में कहां तक गूंजती है।