टिहरी गढ़वाल : उत्तराखंड में निजी स्कूलों का आतंक जारी है औऱ सरकार मौन है…हर साल यूनिफॉर्म और किताबों के नाम पर निजी स्कूल अभिभावकों की जेब में जमकर डाका डाल रहे हैं. और इसका विरोध भी हो चुका है लेकिन ये आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. लेकिन इस सब के बीच एक स्कूल ऐसा भी है जहां प्रवेश शुल्क के नाम पर मात्र 1 रुपया लिया जा रहा है क्योंकि ऐसे स्कूलों का मकसद सिर्फ अच्छी शिक्षा देना है पैसा कमाना नहीं. और इस पहल की पहाड़ में खूब प्रशंसा भी की जा रही है.
प्रवेश शुल्क सिर्फ 1 रुपया
आज के समय में जहाँ एक और प्राइवेट स्कूल मोटी कमाई के लिए कई हथकंडे अपना रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ घनसाली विधानसभा के अंतर्गत बेलेश्वर गांव के केराराम स्कूल में प्रवेश शुल्क के नाम पर मात्र 1 रुपया लिया जा रहा है. इस स्कूल का एक ही मकसद है कि पहाड़ में सभी पढ़े। जिसमें इस वर्ष से प्रवेश शुल्क के नाम पर मात्र 1 रुपया लिया जाएगा. जिससे गरीब बच्चे का भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का सपना पूरा होगा।
भारतीय नौसेना से 15 वर्ष की सेवा करने के बाद अपने गाँव का रूख किया
ये नेक काम कर रहे हैं घनसाली विधानसभा के अंतर्गत बेलेश्वर गांव में नवोदय विद्यालय से पढ़े दो भाई हर्षमनी उनियाल और सूर्यमणि उनियाल…घनसाली विधानसभा के अंतर्गत बेलेश्वर गांव में नवोदय विद्यालय से पढ़े दो भाई हर्षमनी उनियाल जो स्वयं एक नौसैनिक रहे एवं 2016 में जिन्होंने भारतीय नौसेना से 15 वर्ष की सेवा करने के बाद अपने गाँव का रूख किया एवं अपनी पत्नी डॉ सोना उनियाल , भाई सूर्यमणि उनियाल के साथ मिलकर केराराम स्कूल।चला रहे है.
डॉ सोना उनियाल का कहना- सरकार या अन्य किसी एजेंसी से कोई सहायता नहीं मिलती लेकिन
इस पर डॉ सोना उनियाल का कहना है कि उनका पूरा परिवार इस कार्य मे कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहा है और इसमे लोगों का सहयोग भी मिल रहा है।डॉ सोना उनियाल ने बताया कि प्राइवेट स्कूल होने के कारण कोई अन्य आर्थिक सहायता सरकार या अन्य किसी एजेंसी से कोई सहायता नहीं मिलती है लेकिन फिर भी वे अपने समाजहित कार्यो को नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कार्य मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नहीं है और इसमें आर्थिक रूप से गरीब तबके के बच्चों का विशेष ख्याल रखा जाएगा।
पहाड़ की विषम परिस्थिति में जहां लोग रुकने को तैयार नहीं वहीं दूसरी तरफ अपना सबकुछ दावं पर लगाकर महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है। सब जानते हैं कि शिक्षा के नाम पर लोग पहाड़ों से तेजी से पलायन कर रहे हैं। इस स्कूल का मकसद अभिभावक प्रवेश शुल्क के नाम पर परेशान ना हो इसलिए विषम परिस्थित में भी यह निर्णय समाज हित के लिए लिया गया है।