उम्मीदवार के लिए 10वीं पास की बाध्यता को भी कोर्ट में चुनौती दी गई थी। पूरी सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं को उम्मीद थी कि फैसला उनके पक्ष में आयोगा। फैसला उनके पक्ष में आया भी, लेकिन कोर्ट शैक्षिक योग्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की।
इससे ये साफ हो गया है कि शैक्षिक योग्यता को लेकर सरकार का फैसला सही है। कोर्ट ने भी माना कि कमसे कम पढ़ा लिखा उम्मीदवार की प्रधान, क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत का प्रतिनिधि होना चाहिए। इससे जहां लोग पढ़ाई को लेकर जागरूक होंगे। वहीं, पंचायतों में भी पढ़े-लिखे प्रतिनिधि होने से वो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगे और अपनी ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का अधिक विकास कर पाएंगे।