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एवलांच में लापता हुए लोगों की तलाश करने में खोजी दलों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। खराब मौसम और हाई एल्टिट्यूड के चलते रेस्क्यू टीमों को खासी दिक्कतें पेश आईं।
एवलांच के दौरान रेस्क्यू में लगी वायुसेना की टीमों ने ट्रैक के ऊपर से जब उड़ान भरी तो उन्हे शुरु में कुछ नहीं दिखा हालांकि कई बार रेकी के बाद टीम को ट्रैकर्स की रंगीन रस्सी दिखी। बर्फ पर रंगीन रस्सी देखने के बाद करीब वहां करीब डेढ़ दिन बाद संयुक्त खोजी दल पहुंचा और लोगों की तलाश में जुट गया।
दरअसल शुरु से ही डीकेडी 2 ट्रैक पर निकले लोगों को तलाशना एक चुनौती थी । लापता लोगों की तलाश के लिए कई टीमें बनाईं गईं। आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के साथ ही वायुसेना और HAWS की टीम को भी लगाया गया। इसके साथ ही निम की भी टीम लगी हुई थी।
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निम से जानकारी लेकर वायुसेना के चीता हेलिकॉप्टर ने उसी ट्रैक के ऊपर से उड़ान भरी जिस ट्रैक पर ट्रैकर्स निकले थे। इसी ट्रैक पर उड़ान के दौरान वायुसेना को रंगीन रस्सी दिखी। इसके बाद टीमों को वहीं पर भेजा गया। तब जाकर पर्वतारोहियों के शव मिलने शुरु हुए। कई पर्वतारोही ऐसे थे जो क्रेवास में फंस गए थे। क्रेवास ऐसी खाई होती है जो ग्लेशियरों के बीच में होती है। इन पर्वतारोहियों को निकालने के लिए टीमों को खासी दिक्कतें पेश आईं।
जानकारों की माने तो एवलांच के दौरान फंसे लोगों को निकालने के लिए टीमों के पास एक मात्र रास्ता मौके पर पहुंच कर रेस्क्यू करना ही होता है। चूंकि जो पर्वतारोही फंसे होते हैं उनके ऊपर बर्फ की पर्त भी जमती जाती है। ऐसे में निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।