देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने आज अपने आवास पर मनस्विनी मैठाणी, यशस्विनी मैठाणी और उनके पिता शशि भूषण मैठाणी से मुलाकात कर उनके द्वारा चलाई जा रही खास मुहिम “समौण इंसानियत की” अभियान में 71 कम्बलें अपनी ओर से समौण में भेंट की। मुख्यमंत्री ने मनस्विनी मैठाणी और यशस्विनी मैठाणी की तारीफ करते हुए कहा कि मैं बराबर सोशल मीडिया पर इन दोनों बेटियों की गतिविधियों को देखता हू। खुशी होती है कि इतनी कम उम्र से यह बच्चे दिल से समाजसेवा करने में जुट गए हैं भविष्य में दोनों बेटियों का आत्मबल उच्च स्तर का होगा व किसी भी पद पर विराजित होने पर इनका सेवाभाव हमेशा जिंदा रहेगा ।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि इन दोनों बेटियों के पिता शशि भूषण मैठाणी पारस भी स्वयं में समाजसेवी हैं, रचनात्मक व्यक्ति हैं और उन्हीं से प्रेरित होकर आज उनकी बेटियां विरासत में मिले संस्कारों को अपनाकर आगे बढ़ रही हैं। इस बात के लिए मुख्यमंत्री ने शशि भूषण मैठाणी के द्वारा बेटियों को दी जा रही नैतिक शिक्षा की भी सराहना की।मुलाकात के दौरान समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि वाईआईसीएफएस के तहत भिन्न-भिन्न कार्यों को सम्पादित करने के लिए अभियानों को अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। उसी क्रम में विगत तीन वर्षों से “समौण इंसानियत की” मुहिम सर्दियों में जरूरतमंद लोगों को गरम कपड़े बांटने के लिए आरम्भ की गई थी जिसमें अभी तक पांच हजार से ज्यादा लोगों को गरम कपड़े दिए जा चुके हैं।
शशि भूषण ने बताया कि हम हर रात को मलिन बस्तियों, अस्पतालों, निर्माणाधीन भवनों व सड़क के किनारे सो रहे जरूरतमंद लोगों को ठण्ड से बचाने का प्रयास करते हैं । इस मुहिम में देहरादून व आसपास के क्षेत्रों से अब बड़ी संख्या में लोग जुड़ गए हैं जो कि गर्म कपड़े, कम्बल, बिस्तर तक मुहैय्या करा रहे हैं । शशि भूषण मैठाणी पारस ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत एवं उनके वरिष्ठ मुख्य निजी सचिव के.के. मदान का आभार व्यक्त किया । शशि भूषण ने बताया कि मुख्यमंत्री ने समौण में 71 कम्बलें भेंट की जबकि उनके निजी सचिव के.के. मदान ने 15 कम्बलें जरूरतमंद लोगों के लिए मनस्विनी मैठाणी और यशस्विनी मैठाणी को सौंपी। रुद्रप्रयाग प्रशासन से भी उन्हें 72 जरूरतमंद लोगों के नामों की सूची जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल द्वारा भेजी गई है। जिनके लिए नए गरम कपड़ो के साथ ही एक-एक कम्बल के पैकेट तैयार कर कर लिए गए हैं। इसी तरह गौचर, कर्णप्रयाग, गोपेश्वर व जोशीमठ तक भी “समौण इंसानियत की” खुद लेकर जा रहे हैं ।