ब्यूरो- सरकार पांच साल जरूर चली लेकिन सलीके से नहीं। छोटे से राज्य उत्तराखंड को नेताओं की बड़े अहम का सामना करना पड़ा। अहम की लड़ाई का आलम ये रहा कि आए दिन सूबे की जनता को सुनना पड़ा की सूबे का निजाम बदलने वाला है। भाजपा की सरकार गुटबाजी का शिकार रही, सीएम बीसी खंडूड़ी को अपनी इमेज के मुताबिक बैटिंग करने का मौका नहीं मिला। नतीजा ये हुअा कि रिटायर्ड हर्ट होकर खंडूड़ी को कुछ वक्त के लिए पैवेलियन में बैठना पड़ा। हालांकि चुनावी साल में भाजपा ने खंडूड़ी को जरूरी मान लिया और उन्हें फिर से सूबे की कमान सौंप दी।