निजी अस्पतालों की अक्सर मनमानी सामने आते रही है. इलाज के नाम पर मरीज से मोटा पैसा वसूलने के भी अब तक कई मामले सामने आ चुके हैं। सरकार द्वारा कार्रवाई करने और लगाम कसने के बाद भी इस पर लगाम नहीं लग रही है। ताजा मामला दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल का है जहां कोरोना मरीज़ को इलाज के बाद 1 करोड़ 80 लाख रुपए का बिल थमा दिया गया।
बिल देख उड़े होश
मिली जानकारी के अनुसार मरीज़ मैक्स अस्पताल में 28 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुआ और 6 सितंबर को अस्पताल से छुट्टी मिली। लेकिन जब अंत में उसे बिल थमाया तो उसे देख उसके और उसके परिवार वालों के होश उड़ गए। बिल देखने के बाज मरीज के परिजन मालवीय नगर से आप विधायक सोमनाथ भारती के पास गए। जिसके बाद सोमनाथ भारती ने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत की।
विधायक ने की अस्पताल प्रबंधन से बात, लगाई फटकार
आप विधायक ने अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगाई और कहा कि कोरोना मरीज से इतना ज्यादा पैसा लिया गया ये गलत है। कहा कि इलाज के नाम पर आप इतने पैसे किसी से मांगेंगे तो वो परेशान तो होगा ही। कहा कि आपने शरीर में ऐसा क्या लगाया है कि बिल 1 करोड़ से ज्यादा का आया है। विधायक ने अस्पताल से डिस्काउंट देने के लिए कहा। अस्पताल प्रबंधन ने विधायक से कहा कि मरीज को कई दिन तक ECMO थैरेपी दी थी। कोरोना काल में ECMO थैरेपी पर लंबे समय तक रहने वाला ये पहला मामला है।
विधायक के बात करने के बाद दिया 1 लाख का डिस्काउंट
विधायक सोमनाथ ने कहा कि अस्पताल का जवाब बहुत ही ह्रदयहीन रहा। कहा, जान बचा ली, क्या यह बड़ी बात नहीं है? विधायक ने कहा कि बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जिनकी जान नहीं बच पाई। क्या आप उनकी जिम्मेदारी लेते हो? वहीं इसके बाद अस्पताल ने 1 लाख का डिस्काउंट दिया। एक लाख भी मुझसे लेकर के जाओ और उनको पूरे पैसे दे दो।
विधायक ने की अस्पताल के खिलाफ जांच की मांग
विधायक ने सोशल मीडिया पर लिखा कि महंगे बिल पर महिला के साथ अस्पताल प्रबंधन के आला डॉक्टर का व्यवहार भी ठीक नहीं था। ये डॉक्टर इलाज टीम का हिस्सा नहीं थे। महिला से कहा गया कि हमने मरीज की जान बचा ली है। बिल के लिए बात करने से बेहतर है कि परिवार को हमारा आभार व्यक्त करना चाहिए। इस मामले में आप विधायक सोमनाथ भारती ने अस्पताल के खिलाफ जांच की मांग करते हुए अपनी ही सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील भी की है।विधायक ने कहा है कि सरकार को तुरंत मरीज के बिल का ऑडिट करना चाहिए। साथ ही यह भी देखना होगा कि सरकार द्वारा कोरोना के तहत किए गए मूल्य नियंत्रण का ठीक से पालन किया गया या नहीं। आईसीयू से लेकर वेंटिलेटर तक का अधिकतम शुल्क सरकार ने तय किया था।
मैक्स अस्पताल ने इस मामले पर अपना बयान जारी किया और कहा कि 51 वर्षीय मरीज को 28 अप्रैल को अस्पताल में एडमिट किया गया था। मरीज़ को कोविड निमोनिया के साथ-साथ डायबिटीज, हाइपरटेंशन सहित कई गंभीर परेशानियां भी थीं। कोरोना के कारण मरीज की हालत गंभीर थी। 28 अप्रैल को ही उन्हें इमरजेंसी वार्ड में लाया गया। मरीज का ईसीएमओ द्वारा इलाज जारी रहा ताकि फेफड़े और खराब न हों। बीते 10 मई से 75 दिन तक ईसीएमओ थैरेपी दी गई। मरीज को 23 जुलाई को ईसीएमओ से हटा लिया गया और 16 अगस्त तक आईसीयू में इलाज जारी रहा। मरीज को अस्पताल में चार महीने 15 दिन रहने के बाद डिस्चार्ज किया गया।
ईसीएमओ एक बहुत ही आधुनिक तकनीक है-अस्पताल प्रबंधन
अस्पताल ने कहा कि ईसीएमओ एक बहुत ही आधुनिक तकनीक है। जो देश के कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है। यह बेहद गंभीर हृदय और फेफड़े की बीमारियों में इस्तेमाल होती है। अस्पताल ने कहा की इसकी कीमत और पूरे इलाज के खर्च के बारे में हम लगातार परिवार से बात करते रहे। मरीज और उनके परिजन उपचार को लेकर संतुष्ट थे और उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई।
अस्पताल प्रबंधन बोला- देश का पहला कोरोना का ऐसा मामला
विधायक सोमनाथ भारती का कहना है कि हमारे पास सारे सबूत हैं लेकिन क्योंकि अभी भी इलाज वहीं से हो रहा है इसलिए परिवार प्रेशर में हैं, परिजन डरे हुए हैं। इसलिए वह कुछ भी कहने से घबरा रहे हैं। अस्पताल ने कहा कि यह देश का पहला कोरोना से जुड़ा मामला है, जिसकी जान चार महीने से भी अधिक समय और 75 दिन तक ECMO थैरेपी पर रहने के बाद बच पाई है। यह सब उनके बेहतर डॉक्टर और चिकित्सीय सेवाओं की वजह से संभव हो पाया है।
कांग्रेस सांसद ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को लिखी चिट्ठी
कांग्रेस सांसद ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को चिट्ठी लिखी है और शिकायत की है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन से जवाब तलब करते हुए स्वतंत्र जांच समिति गठन करने और सख्त कार्रवाई की मांग भी की है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, सोमनाथ भारती ने यह भी मांग की है कि देश में ऐसी स्वतंत्र संस्था बने जो इन अस्पतालों को रेगुलेट करे। सोमनाथ भारती ने कहा की कोरोना के दौरान हमने देखा कि लोगों से कुछ भी मांगा जा रहा था और लोग दे रहे थे। मैं मोदी जी से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि बिल पास करिए और इन्हें रेगुलेट करिए।
इस मामले से पहले गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में डेंगू ग्रस्त बच्ची का मामला सामने आया था। जिसमें करीब 18 लाख का बिल बना था। इस मामले में केंद्र सरकार के राष्ट्रीय मूल्य औषधि निर्धारण प्राधिकरण ने भी जांच की थी।