देहरादून: पूरी दुनिया और भारत में कोरोना का कहर है। लोग घरों में कैद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को लाॅकडाउन करने की घोषणा की। सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और गैर सरकारी स्कूल और संस्थान बंद हैं। हर कोई लाॅकडाउन का पालन कर रहा है। लोगों को कोरोना की चिंता सता रही है, लेकिन उत्तराखंड में कोराना के इस कहर के बीच ट्रांसफर और पोस्टिंग का खेल खेला जा रहा है।
ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल
उत्तराखंड के आशाकीय स्कूल अपने चहेते शिक्षकों को ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल लाॅकडाउन के बीच भी खेल रहे हैं, सीधेतौर पर सरकार के आदेशों का उल्लंघन है। कोराना के चलते जहां सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों को लाॅकडाउन करने के निर्देश जारी किए हुए हैं। प्रदेश की बोर्ड परीक्षा तक स्थगित कर दी है। लेकिन, राजधानी देहरादून के आशाकीय स्कूल महेश्वरानंद इंटर काॅलेज माजरा और अंबावती दून वेली पब्लिक स्कूल पडिंतवाड़ी एक शिक्षक नेता की रिलीविंग और ज्वाइंन के लिए लाॅकडाउन के बावजूद खोल दिया गया।
क्यों खोला गया स्कूल
सवाल ये उठ रहा है कि आखिर दोनों स्कूलों को ऐसी क्या आन पड़ी थी, कि जब देश भर में लाॅकडाउन है और स्क्ूलों को बंद किया गया है, तो ये स्कूल क्यों खोले जा रहे हैं। गौर करने वाली बात ये है कि ज्वाइंनिग के पिछे न तो छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने वाले कोई बात है और न ही इन दिनों स्कूल का कोई ऐसा काम है जो शिक्षक नेता के ज्वाइन करने से कोई फायदा स्कूल को हो रहा हो।
मुख्य शिक्षा अधिकारी ने लिया संज्ञान
पूरे मामले को लेकर जब हमने देहरादून की मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा रानी पैन्यूली से बात की तो उन्हांेने कहा कि उन्हंे इस बात की कोई जानकारी नहीं है। मीडिया के माध्यम से उन्हंे ऐेसे जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि जैसे उनके पास विभागीय स्तर से मामला पहुंचेगा, तो मामले में कार्रवाई की जाएगी। स्कूल खोलने तक की अनुमति तक नहीं ली गई।
स्कूल मैनेजमेंट पर सवाल
अशासकीय स्कूलों की पूरी कमाना स्कूल प्रबंधन के पास होती है। बिना स्कूल प्रबंधन के स्कूल में कुड भी नहीं हो सकता। ऐसे में लाॅकडाउन के बीच स्कूल खुलने के पिछे स्कूल प्रबंधन का ही हाथ माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि दोनों स्कूलों के बीच सांठ-गांठ की वजह से लाॅकडाउन के बीच स्कूल खोले गए। ऐसे में पूरे मामले की जांच होना जरूरी है। माना जा रहा है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की भी मिलीभगत है।
क्या होगी कार्रवाई ?
देखना ये होगा कि आखिर शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और मुख्य शिक्षा अधिकारी सरकार के आदेशों की अवहेलना करने का संज्ञान लेते हैं या नहीं। हालांकि मामले में अभी तक शिक्षक का नाम सामने नहीं आया है कि किस शिक्षक नेता के लिए ये सब कुछ किया गया है।