हल्दवानी। कांग्रेस पार्टी द्वारा निकाय चुनाव में भीतरघात करने के नाम पर निकाले गए नेताओं के समर्थन में हरीश रावत गुट खुलकर सामने आ गया है। हल्द्वानी के स्वराज आश्रम में उपनेता प्रतिपक्ष और रानीखेत विधायक करन माहरा ने हल्द्वानी से कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री रहे खजान पाण्डे और नैनीताल से नगर अध्यक्ष रहे मारुति साह के निष्कासन पर सवाल खड़े करते हुए अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं के इस फैसले की कड़ी निंदा की है।
पार्टी के शीर्ष नेताओं की मंशा पर उठाये सवाल
करन माहरा ने पार्टी के शीर्ष नेताओं की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर कांग्रेस जैसी लोकतांत्रिक पार्टी में बिना अनुशासन समिति के कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना कैसे सीधे पार्टी के पदाधिकारियों का निष्कासन कर दिया गया। यही नहीं करन माहरा ने इशारों इशारों में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आखिर कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री हरीश रावत के खिलाफ लगातार मीडिया में बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की जाती है? करन माहरा ने कहा कि पार्टी के इस निर्णय से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा और आगामी चुनाव में पार्टी को इसका नुकसान भी होगा।
बिना नोटिस के किया निष्कासन
करन माहरा ने कहा की आगामी 16 दिसंबर को देहरादून में होने वाली पीसीसी की बैठक में वो इन सभी के निष्कासन के मामले को उठाएंगे। उधर पार्टी से निष्कासित हुए कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव खजान पाण्डे का कहना है कि उनके निष्कासन के समाचार से वह बहुत आहत है, क्योंकि वह कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं और उन्होंने पूरे जीवन कांग्रेस के लिए काम किया है। खजान पांडे ने कहा की अनुशासन समिति से उनको कोई नोटिस नहीं मिला और न ही उनका पक्ष सुनने की कोशिश की गई जो कि सरासर गलत है और वह आला कमान तक अपनी बात पहुंचाएंगे।
गुटबाजी खुलकर आयी सामने
दरअसल खजान पांडे, राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेहद करीबी माने जाते हैं, निकाय चुनाव में हार का ठीकरा हरीश रावत के चुनाव प्रचार कैंपेन और उनके सहयोगियों के ऊपर पहले ही फोड़ा जा चुका है, ऐसे में निष्कासन की प्रक्रिया से साफ हो गया है कि प्रदेश में इंदिरा गुट और हरीश रावत गुट खुलकर एक बार फिर आमने सामने आ गए हैं।