दून मेट्रो रेल परियोजना धरातल पर उतरने से पहले ही धड़ाम हो गई है।उत्तराखंड में सरकार ने दून मेट्रो रेल परियोजना को लेकर रोड मैप तैयार किया था लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्य नहीं हो पाया है अब सरकार दून मेट्रो रेल परियोजना को लेकर बयानबाजी करते हुए नजर आ रहे हैं ..और उत्तराखंड की सड़कों को दून मेट्रो परियोजना के लिए अनुपयुक्त मान रहे हैं
लोगों की उम्मीदों को झटका
2016 से मेट्रो रेल का सपना देख रहे लोगों की उम्मीदों को झटका लग सकता है…उत्तराखंड में मोनो रेल से लेकर मेट्रो रेल की चर्चा यूं तो हर सरकार में चलती रही है…. मार्च 2018 में बकायदा राज्य सरकार ने अपने बजट में मेट्रो रेल परियोजना के लिए 86 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया….इस लंबी चौड़ी कसरत के बीच अध्ययन के नाम पर अधिकारियों और नेताओं के जर्मनी और लंदन तक के दौरे हुए ..खास बात ये भी कि इन्वेस्टर्स समिट में मेट्रो परियोजना के लिए अडानी समूह के साथ 4500 करोड़ के निवेश का करार भी हो चुका था…..लेकिन इस पूरी कवायद के बाद अब सरकार रोल बैक करती नजर आ रही है।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि दून की सड़के मेट्रो रेल परियोजना के लिहाज से बेहतर नहीं हैं….इसलिए मेट्रो पर पुर्नविचार की जरूरत है।
मेट्रो प्रोजेक्ट पर सीएम के बयान पर तिलमिलाई कांग्रेस
तो वहीं मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर सीएम के बयान पर कांग्रेस तिलमिला गई है। कांग्रेस का आरोप है कि 2017 के चुनाव में इन्ही भाजपा नेताओं ने मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर बड़ी बड़ी बात कही थी और निकाय चुनाव तो भाजपा इसी मेट्रो प्रोजेक्ट पर जीत पाई है ।कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि यह सरकार सिर्फ जुमलों की सरकार है इनका डबल इंजन फेल हो चुका है यही वजह है कि अब मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर भी खुद मुख्यमंत्री पुनर्विचार की बात कर रहे हैं इससे साफ जाहिर है कि यह सरकार उत्तराखंड में मेट्रो चाहती ही नहीं है।
हालांकि अब सरकार के बदले रुख के बाद पूरी कसरत पर पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है वही उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रबंधक निदेशक जितेंद्र त्यागी ने कहा कि कन्फ्यूजन मेट्रो और एलआरटी को लेकर हो सकता है मेरी इस मामले में अभी मुख्यमंत्री से कोई भी बात नहीं हुई है और कोई भी चर्चा नहीं की गई है प्रबंधक निदेशक ने यहां तक कह दिया कि उत्तराखंड में मेट्रो की आवश्यकता ही नहीं है , एलआरटी टेक्नोलॉजी यहाँ के लिए उपयुक्त है। लेकिन ये अपनेआप में बड़ा सवाल है कि सरकार और शासन ने जमीन पर मेट्रो रेल परियोजना को लेकर अभी तक कोई भी रोडमैप तैयार नहीं किया है.. लेकिन उत्तराखंड की जनता को मेट्रो के सपने जरूर दिखाने का काम किया है ऐसे में यह देखना होगा कि क्या मैट्रो को लेकर उत्तराखंड की जनता के सपने सच हो पाएंगे या नहीं