देहरादून : आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में चिकित्साधिकारियों की भर्ती मामले की एसआइटी जांच होगी। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने आयुष शिक्षा महकमे के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इस मामले में अब गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चिकित्साधिकारियों की भर्ती में गड़बड़ी
दरअसल उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चिकित्साधिकारियों की भर्ती में गड़बड़ी की शिकायतों पर राजभवन ने जांच के निर्देश दिए थे। साथ ही भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच पूरी होने तक राजभवन ने चिकित्साधिकारियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। निजी पत्रिका में इस खबर को दिखाया गया था।
राजभवन के जांच के निर्देश पर आयुष शिक्षा महकमे ने उक्त भर्ती परीक्षा की विजिलेंस जांच या एसआइटी जांच कराने के लिए मुख्य सचिव से मार्गदर्शन मांगा था। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने उक्त प्रकरण की एसआइटी जांच कराने की अनुमति दी है।
19 पदों के लिए कराई गई थी परीक्षा, परीक्षार्थियों का कहना
गौरतलब है कि बीते मार्च माह में आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने चिकित्साधिकारी के 19 पदों के लिए परीक्षा कराई थी। इसमें 798 अभ्यर्थी शामिल हुए। अभ्यर्थियों का कहना था कि जो प्रश्न पत्र उन्हें मिला, वह सीलबंद नहीं था।
प्रश्न पत्र में एक ही गाइड के पेज नंबर 859 से 868 तक एक ही सीरियल के एक जैसे प्रश्न दे दिए गए। यह प्रश्न पत्र राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की 2007 में हुई एमडी परीक्षा से हूबहू लिया गया था। परीक्षा में प्रश्न पत्र क्रमांक और उत्तर पुस्तिका क्रमांक भी भिन्न था।
नियम के अनुसार किसी भी परीक्षा के तत्काल बाद उसकी आंसर की संबंधित वेबसाइट पर अपलोड की जा सकती है, ताकि अभ्यर्थी उसका मिलान कर अपने अंकों को अनुमान लगा सकें। इसके बाद अभ्यर्थियों को आपत्ति दाखिल करने के लिए कुछ घटों का नहीं, बल्कि समुचित समय दिया जाता है। यही नहीं आपत्तियों का निस्तारण किए बगैर ही विवि ने उसी रात परीक्षा का प्रोविजनल रिजल्ट भी जारी कर दिया।
विवि की इस अप्रत्याशित जल्दबाजी पर भी सवाल खड़े हुए थे। इसी बीच शासन ने तत्कालीन कुलसचिव अनूप कुमार गक्खड़ को भी हटा दिया था। संपर्क करने पर आयुष शिक्षा सचिव आरके सुधांशु ने मुख्य सचिव से एसआइटी जांच की पत्रावली मिलने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि गृह विभाग को एसआइटी के गठन के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है।