उत्तरकाशी(सुनील मौर्य)- जैविक खेती ही पहाड़ की दिशा और दशा बदल सकती है ऐसा मानना है उत्तरकाशी जिलाधिकारी आशीष चौहान की धर्मपत्नी अनुकृति शर्मा चौहान का..अपनी कही बात को सच कर ही उन्होने ये बात कही..जी हां जिलाधिकारी की पत्मी अनुकृति चौहान ने अपने उत्तरकाशी स्थित अपने बंगले (डीएम आवास) में 78 किस्म के फूल, मशरूम, यूरोपीय सब्जियां, देवदार व पोपलर के पेड़ हाल ही में खुद लगाए औऱ खेती-बाड़ी छोड़ चुके लोगों को एक अच्छा संदेश दिया. जबकी उनको उत्तरकाशी में बसे हुए कुछ ही दिन हुए है लेकिन उनकी यह पहल कबीले तारीफ है.
आपको बता दे जैविक खेती का सफल प्रयोग वह पूर्व में पिथौरागढ़ में भी कर चुकी है…जिसमें घर से निकले जैविक कचरे से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर टिशू कल्चर द्वारा यूरोपीय सब्जियां व मशरुम की बम्पर पैदावार कर चुकी हैं।
अनुकृति चौहान स्कूलिंग के समय में मेधावी छात्रा भी रही हैं और उन्होंने दो बार गोल्ड मेडल भी हासिल किया है.. अनुकृति ने अनुसंधान शुष्क पादप अनुसंधान केंद्र क्विसलैंड ऑस्ट्रेलिया से इसकी शिक्षा प्राप्त की और पादपों में रोगों का निदान जैविक तरीके से करने पर आधारित था।
उन्होंने IAS की तैयारी भी लेकिन पारिवारिक जिम्मदारियों के चलते आईएएस की तैयारी को बीच में ही छोड़कर आज वह हर प्रोजेक्ट में अपने पति और उत्तरकाशी जिलाधिकारी अशीष चौहान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती रही हैं।
उन्होंने उत्तरकाशी को सवारने की नजरिए से देखते हुए उत्तरकाशी को और खूबसूरत बनाने की ठानी. अनुकृति का कहना है कि उत्तरकाशी को प्रकृति ने पहले से ही प्राकृतिक रूप से खूबसूरत बनाया हुआ है वेकिन इस जिले को और खूबसूरत बनाने के लिए काम करना होगा।
गौरतलब हो कि आशीष चौहान की धर्मपत्नी आए दिन ऐसे कई सामाजिक कार्य करती रहती है जिससे की जिले की स्थिति में कुछ सुधार होगा और ये पहल चलती रहेगी..समाज में रहकर ऐसे बेहतर काम करके कहीं न कहीं इससे सबको प्रेरणा मिलेगी और राज्य का विकास होगा. कुछ दिनों पहले उन्होंने बच्चों को करियर को बनाने के सरल और आसान तरीके GIC गंगोरी के बच्चों को दिया और साथ ही मंगलवार को ही अनुकृति शर्मा चौहान ने भटवरी, मनेरी, गंगोरी, के सरकारी स्कूलो के बच्चों के लिये देवदार और पोपलर के पौध भिजवाये जिससे की बच्चों को पेड़ों की अहमियत समझ में आये और किस तरह से ये पेड़ हमारे पर्यावरण को स्वच्छ रखते है इसकी भी जानकारी मिले. अनुकृति उत्तरकाशी जिले को फूल, मशरूम, यूरोपीय सब्जियों की खेती के लिये मॉडल टाउन के रूप विकसित करना चाहती हैं. साथ ही वह जैविक कचरे से खाद बनाकर इसे खेत में उपयोग करने व स्वच्छता के प्रति जागरूक रहने की सलाह देती है।