देहरादून- उत्तराखंड में चंपावत और पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र की जनता उस वक्त चकरा जाती है जब वो अपने किसी परिचित से मोबाइल पर बात कर रहे होते हैं। उनका आधार कार्ड उन्हें भारतीय बताता है लेकिन मोबाइल टावर का नेटवर्क नेपाली घोषित कर देता है।
बात यहीं तक रहती तो गनीमत थी गजब तो ये है कि जब मोबाइल का बिल आता है या कॉल खत्म होती है तो पता चलता है कि उन्होनें विदेश में बात की और उनसे आईएसडी दर से कॉल का चार्ज वसूला गया। जबकि हकीकत ये होती है कि वे लोग अपने ही गांव में अपने घर से किसी दूर परिचित से बात कर रहे होते हैं। ऐसे में यहां के लोगों को फोन करने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है।
जी हां, नेपाल सीमा से सटे उत्तराखंड के चंपावत व पिथौरागढ़ जिले की जनता इस सरकारी और कॉरपरेट लूट से बड़ी परेशान है। पड़ोस में ही आइएसडी (इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डायलिंग) की दर से हो फोन कॉल से हो रही परेशानी को देखते हुए देहरादून स्थित टेलीकॉम इंफोर्समेंट, रिसोर्स एंड मॉनिटरिंग (टर्म) सेल ने विभिन्न दूरसंचार प्रदाता कंपनियों को नोटिस जारी किए हैं।
यह नोटिस देहरादून निवासी अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद की शिकायत पर जारी किए गए। टर्म सेल के उपमहानिदेशक मनोज पंत के मुताबिक नेपाल सीमा से लगे चंपावत व पिथौरागढ़ के जिन क्षेत्रों में भारत की दूरसंचार कंपनियों के टावर ढंग से काम नहीं कर रहे, वहां पर यह समस्या आ रही है। ऐसे में भारत के टावरों के सिग्नल न मिलने पर नेपाल के टावरों के सिग्नल काम करना शुरू कर दे रहे हैं। इसी कारण इन क्षेत्रों में आइएसडी लग रही है।
बीएसएनएल समेत क्षेत्र में काम कर रहे सभी ऑपरेटरों को लेकर यह शिकायत मिल रही है। टर्म ने अपने स्तर पर संबंधित कंपनियों को नोटिस भेजकर सिग्नल की स्थिति को सुधार करने को कहा है। इसके अलावा नेपाल सरकार को भी इस पर सहयोग करना होगा। इसके लिए दूरसंचार मंत्रलय को भी पत्र लिखा जा रहा है। ताकि केंद्र सरकार के स्तर पर नेपाल सरकार के साथ बात कर उचित समाधान निकाला जा सके।