आशीष तिवारी। पिछले एक हफ्ते के भीतर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की दो तस्वीरें सामने आईं। पहली तस्वीर में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत नरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी को अपनी गाड़ी में बैठा कर अस्पताल जाते दिखे तो दूसरी तस्वीर में सड़क पर बेसुध पड़े एक शख्स को अपने हाथों से उठाते दिखे। ये दोनों ही तस्वीरें जाने अनजाने उत्तराखंड में स्वास्थय सेवाओं को लेकर हमारे बीच मौजूद एक डर को हमारे सामने पूरी तरह खड़ी कर देती हैं। ये डर इस राज्य के आम नागरिक के भीतर भी है और उल्लेखित वाक्यों से लगता है कि ये डर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के भीतर भी गहरे तक समाया है।
उत्तराखंड में सरकारी क्षेत्र की स्वास्थय सेवाओं के हाल कितना बेहाल है अब इस बात पर बहस बेमानी है। आधारभूत ढांचे से लेकर क्रियान्वयन तक में ऐसी खामियां पैठ बना चुकीं हैं कि पूरी व्यवस्था ही दरकने लगी है। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में लोग मजबूरी में ही जाना चाहते हैं। विकल्प मिलें तो दून अस्पताल में किसी को इलाज कराने का शौक नहीं है। इस अस्पताल में स्वास्थय सेवाओं का जिम्मा उठाने वालों की हेकड़ी ऐसी है कि सीएम त्रिवेंद्र रावत अपने औचक निरीक्षण के बाद लापरवाह कर्मचारियों को निलंबित करने का आदेश देकर भी उसे पूरा नहीं करा पाए।
नरेंद्र सिंह नेगी इस राज्य के लिए बेहद मूल्यवान हैं लेकिन उनके इलाज के लिए राज्य के सरकारी अस्पतालों के पास संसाधन नहीं हैं। लिहाजा देश के महंगे अस्पतालों में से एक अस्पताल में सरकार ने अपने खर्च पर नरेंद्र सिंह नेगी का इलाज कराया। सभी चाहते हैं कि नरेंद्र सिंह नेगी जल्द स्वस्थ होकर हमारे बीच आ जाए लेकिन इस राज्य का आम नागरिक जानता है कि उसकी किस्मत नरेंद्र सिंह नेगी जैसी नहीं है। उसे दून अस्पताल ही मिलेगा और सरकार उसके इलाज का खर्च नहीं उठाएगी।
ऐसे हालातों से एक चिढ़ पैदा होती है, एक विभाजनकारी रेखा खिंची नजर आती है। राज्य के आम नागरिक को दोयम दर्जे के होने का एहसास होता है। ये वही राज्य जहां डाक्टरों के तबादले पर्वतीय इलाकों में करने पर डाक्टर इस्तीफा देने का तैयार हो जाते हैं लेकिन पहाड़ में नहीं जाते।
ये वही राज्य है जहां के पहाड़ी इलाके में गर्भवती महिला अपनी कोख में पल रहे बच्चे की सलामती के लिए मां नंदा से मनौती मांगती है क्योंकि उसे पता है कि उसके बच्चे के लिए डाक्टर नहीं मिलेगा।
फ्लीट रोककर एक घायल को अपने हाथों से उठाकर अस्पताल पहुंचाना अच्छी नजीर है लेकिन हाथों से फिसलते सिस्टम को संभालना उससे बड़ी जिम्मेदारी है। स्वास्थ महकमा बीमार है और इलाज नजर नहीं आता। शायद सरकार कोशिश करे तो इस राज्य के हर शख्स की किस्मत में नरेंद्र सिंह नेगी होना लिख जाए।