धनोल्टी(सुनील सजवाण) – पूरे देश में इस वक्त गाय और गोवंश को लेकर सियासय हो रही है। हॉट मसला बना हुआ है। जबकि टिहरी जिले की धनोल्टी तहसील के कई गांवों में दुधारू पशुओं की जान पर बन आई है। जबकि गांव वालों के सामने रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है। तय है कि अगर मवेशियों की जान बचाने के इंतजाम न किए गए तो ग्रामीणों की जिंदगी बे-पटरी हो जाएगी।
उसकी वजह है खुरपका रोग। खुरपका बीमारी फैलने से कई पशु अपनी जान गंवा चुके है जबकि कईयों की जान अधर में लटकी है। गजब तो ये है कि इससे पहले इलाके में पशु पालन विभाग ने खुरपका के टीके भी लगाए थे बावजूद इसके रोग फैल रहा है।
हालांकि एक बार फिर से पशु चिकित्सालय ने रोग पर काबू करने के लिए अपनी टीम गठित कर दी है। पशु चिकित्सा महकमें की माने तो ये धनोल्टी तहसील के गांवों में खुरपका की बीमारी उन गुर्जरों के जानवरों से क्षेत्र में फैली है जो कुछ दिन पहले इलाके से होकर गुजरे थे। गुर्जरों के पशुओं में इस बीमारी के लक्षण थे और ये बीमारी एक मवेशी से दूसरे मवेशी में फैलती चली जाती है। अब स्थानीय पशु चिकित्सालय सचल वाहन से गांवों में दवा का वितरण कर रहा है। लेकिन दवा का असर कम ही नजर आ रहा है।
ग्रामीणों की माने तो अगर जल्द ही रोग पर काबू न किया गया तो कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। दरअसल साल 2013 की आपदा मे अपने खेत गवाने के बाद ग्रामीणों ने रोजी के लिए पशुपालन को अपनाया। आज इस इलाके का तकरीबन हर परिवार दूध-पनीर के धंधे से अपनी रोजी कमाता है। लेकिन अब खुरपका की बीमारी ने ग्रामीणों के मन में डर पैदा कर दिया है कि कही बमारी महामारी का रूप न धारण कर ले ।
गौरतलब है कि इस बीमारी में पशु के शरीर का तापमान सामान्य बढ़कर 101 से 105 डिग्री हो जाता है। गर्मी के चलते पशुओं के मुंह में छाले हो जाते हैं जबकि पैरों में खुजली के कारण घाव हो जाता है। ये ऐसे घाव होते हैं कि अगर वक्त पर ईलाज न मिला तो जानवर की जान पर बन आती है।