ब्यूरो-गुजरे दौर में गढ़वाल और कुमाऊं मे सर्दियों में लोग नदियों के किनारे सोने छानने का काम करते थे। ब्रितानी हुकूमत के गजेटियर में इसका जिक्र एटकिंसन ने किया था।
आजादी के बाद धीरे-धीरे कमाई के नए साधन विकसित होते गए और रोजी-रोटी की तलाश में पलायन होने के साथ–साथ संयुक्त परिवारों की परम्पराएं टूटने लगी लिहाजा सर्दियों में नदियों के किनारे सोने छानने के काम में लोगों की दिलचस्पी कम होती चली गई।
जब से राज्य बना तब से तो उत्तराखंड की जनता अपने पहाड़ को ही भूल गई है तो उसे क्या पता कि देवभूमि की धरती में सोना छिपा है या खालिस मिट्टी बिछी है।
बहरहाल भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के वैज्ञानिकों ने शिव के धाम रुद्रप्रयाग जिले के कई हिस्सों में सोना मिश्रत तांबा खनिज की खोज की है। करेंट सांईस जनरल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि रुद्रप्रयाग जिले के कई इलाकों की मिट्टी में बड़े पैमाने पर सोने के कण मौजूद हैं।
हालांकि वैज्ञानिकों ने न तो सोने की खदान का दावा नहीं किया है और न ही इसकी संभावना जताई है कि इसका व्यसायिक इस्तमाल हो सके। लेकिन सोने के कणों की मौजूदगी ने वैज्ञानिक रिसर्च को नया मुकाम दिया है और खोज की संभावना बरकरार रखी।
रुद्रप्रयाग में कहां-कहां मिला सोना
वैज्ञानिकों की टीम को जिले के रतूड़ा, लमेरी, कोटेश्वर, सुमेरपुर,सारी धारकोट,और जगतोली जैसी जगह रिसर्च की। सभी जगह सोने के कण पाए गए लेकिन सबसे ज्यादा लमेरी और कोटेश्वर मे सोने के कणों की मौजूदगी मिली।