ब्यूरो- 2017 का विधानसभा चुनाव कई माएनों में यादगार रहेगा। नामांकन जुलूस में गोली चलने से लेकर टिकट आंवटन के दिन तक पाला बदलने वाले नेताओं की निष्ठा और कांग्रेस कार्यालय से लेकर अनुशासित मानी जाने वाली पार्टी भाजपा में उम्मीदवारो के किए हंगामे को लेकर भाजपा के चरित्र बदलने को लेकर और भी कई घटनाओं ने इस चुनाव को न बिसरने वाला बना दिया है।
इस चुनाव को इसलिए भी याद रखा जाएगा कि अब तक राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में कभी भी किसी सीएम ने आम चुनाव में दो सीटों से चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन इस चुनाव में सीएम ही नहीं उम्मीदवार ने भी ऐसी हिम्मत दिखाई है। किन्नर प्रत्याशी सूबे के मुखिया से होड़ ले रही है। सीएम हरीश रावत दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं तो कांग्रेस की बागी किन्नर प्रत्याशी रजनी रावत भी सीएम के नक्शे कदम पर चल कर दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतरी हुई है।
सीएम हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से मैदान में डटे हैं तो थर्ड जेंडर रजनी रावत ने भी देहरादून की धर्मपुर और रायपुर सीट पर अपनी ही पार्टी कांग्रेस के लिए सिरदर्द पैदा कर रखा है। दो सीटों पर चुनाव लड़ने का साहस आज तक उत्तराखंड में किसी ने नही किया सिवाय हरीश रावत और रजनी रावत के।