देहरादून : कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की एक बार फिर से नाराजगी छलकी। उन्होंने मीडिया से कई ऐसी बातें कहीं जिससे साफ है कि हरक सिंह रावत कार्यप्रणाली को लेकर नाराज हैं। इस बार उनकी नाराजगी उनके सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की जांच के बाद कोटद्वार में बन रहे उनके ड्रीम प्रोजेक्ट अस्पताल को लेकर है। जिसमें एक निर्माण एजेंसी को 20 करोड़ रुपए दे दिए गए थे लेकिन राज्य सरकार की ओर से तमाम जांच कराने के बाद में निर्माण एजेंसी से 18 करोड़ रुपए वापस लिए गए हैं जिसके बाद हरक सिंह रावत जरूर नाराज दिखाई दे रहे हैं।
कोटद्वार में बन रहे अस्पताल को लेकर सरकार नहीं दिखा रही गंभीर
कैबिनेट और वन मंत्री हरक सिंह ने साफ तौर पर कहा कि चाहे सरकार सहयोग करें या ना करें लेकिन वह अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को बनवा कर रहेंगे। चाहे वह प्रधानमंत्री से ही क्यों ना मिलना पड़े। हरक सिंह रावत मान रहे हैं कि उनका कोटद्वार में बन रहे अस्पताल को लेकर सरकार संजीदगी नहीं दिखा रही है जिसके चलते पूरा विवाद खड़ा हुआ। अब आलम यह है कि हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में बन रहे ईएसआई के अस्पताल के कामों पर विराम लग सकता है।
बोले-वो कोई काम नहीं करते सिर्फ लोगों के घर चाय पीते हैं!
हरक सिंह रावत ने जमकर नाराजगी जाहिर की और कहा कि हमारे नेता कहते हैं कि वो कोई काम नहीं करते। वो कई बार विधायक रहे। वो कोई काम नहीं करते सिर्फ लोगों के घर चाय पीते हैं। पीथ थपथपाते हैं और चुनाव जीत जाते हैं। वहीं ये बयान जारी करने के बाद हरक सिंह रावत ने अपने कामों का बखान किया और साफ नाराजगी जाहिर की।
यह है पूरा मामला
विवादों में आया उत्तराखंड सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के श्रमिकों के गैर पंजीकरण को लेकर जांच की जा रही थी तो ऐसे में कोटद्वार में अस्पताल बनाने के लिए ईएसआई की ओर से एक निर्माण एजेंसी को 20 करोड़ रुपए की धनराशि जल्दबाजी में दे दी गयी> इस धनराशि को अधूरी प्रक्रिया के दौरान दिया गया जिसके बाद में सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की जांच के बाद इस पूरे मामले की जांच की गई जिसके चलते निर्माण एजेंसी को 20 करोड में से 18 करोड रुपए राज्य सरकार को वापस करने पड़े और इसी कारण से हरक सिंह रावत की नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है हरक सिंह रावत मान रहे हैं कि पीड़ा जरूर है लेकिन वह अपने इस प्रोजेक्ट को बनवा कर रहेंगे चाहे वह किसी के भी पैर पकड़ने पड़े।