देहरादून: उल्लू आसानी से मिलता भी नहीं है। अक्सर लोग उल्लू के नाम से कई तरह की गालियां और मुहावरे भी उल्लू के नाम से कई बनी हैं। बावजूद लोग उल्लू के पीछे पड़े हुए हैं। हर कोई उल्लू को गोद लेना चाहता है। सवाल यह है कि आखिर लोग उल्लू को क्यों गोद लेना चाहते हैं। ऐसा क्या है कि ज्यादातर लोग उल्लू को ही गोल देने के पीछे पड़े हुए हैं।
देहरादून चिड़ियाघर में लोग वन्यजीवों को गोद लेकर उनकी खर्च वहन करते हैं। सभी तरह के जीवों को गोद लेने का खर्च भी अलग-अलग है। लेकिन, जो चौंकाने वाली बात है, वह यह है कि हर कोई उल्लू को गोद लेना चाहता है, जबकि उल्लू को गोद लेने के सालाना खर्च के बाराबर दूसरे वन्यजीवों का खर्च भी है।
उल्लू को गोद लेने का सबसे बड़ा कारण दीपावली का त्याहार बन रहा है। इसके चलते ही लोग उल्लू को गोद लेकर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। जू में अब तक उल्लू को गोद लेने के लिए पिछले कुछ दिनों में चिड़ियाघर में मौजूद 12 उल्लुओं के लिए दागुने आवेदन आए हैं। चिड़ियाघर के वन क्षेत्राधिकारी मोहन सिंह रावत ने बताया कि चिड़ियाघर में 12 उल्लू हैं और उन्हें गोद लेने के लिए पिछले कुछ दिनों में ही 18 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। अन्य जीवों के लिए इतने आवेदन नहीं मिल रहे हैं।