कानपुर : कानपुर के बिकरू गांव में हुए हत्याकांड के बाद कुख्यात अपराधी विकास दुबे को एनकाउंटर में पुलिस ने ढेर कर दिया। इस मामले में पुलिसकर्मियों की विकास दुबे के साथ मिलीभगत सामने आई। आनन-फानन में चौबेपुर थाने के एसएचओ विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा को निलंबित कर गिरफ्तार कर लिया गया था। ये बात सामें आई थी कि 3 जुलाई को पुलिसकर्मियों ने विकास दुबे को छापेमारी की सूचना पहले ही दे दी थी।
अब मामले में आरोपी दरोगा केके शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उसका कहना है कि उनकी जिंदगी को खतरा है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के इंतजाम जरूरी हैं। यही नहीं, उन्होंने 3 जुलाई की घटना, दुबे की हत्या मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। कानपुर मामले में जांच को लेकर एसआईटी अपने काम में जुट गई है। एसआईटी की टीम रविवार को बिकरू गांव पहुंची थी। बता दें कि विकास दुबे के मददगार पुलिस अफसरों, नेताओं को बचाने के विपक्षियों के आरोपों से घिरी राज्य सरकार ने कानपुर के बिकरू कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी में एडीजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जे रविंदर गौड़ शामिल हैं।
SIT 31 जुलाई तक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। टीम जांच में विकास और उसके गैंग के सबसे करीबी लोगों की एक साल की कॉल डीटेल खंगालेगी। SIT जांच से बीते एक साल से कानपुर में तैनात रहे पुलिस और प्रशासन के अफसरों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्योंकि इतने कुख्यात अपराधी जिस पर 60 से ज्यादा गंभीर मुकदमे हों उसकी समीक्षा का जिम्मा इलाके के सिपाही से लेकर जोन के एडीजी के ऊपर होता है। यह बात जाहिर है कि विकास दूबे और उसका गैंग वर्षों से इलाके में दहशत का पर्याय बना था, लेकिन किसी भी स्तर से उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई।