पिथौरागढ़ : बीते दिन उत्तराखंड के दो लाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। दोनों शहीद जवान पिथौरागढ़ के रहने वाले थे। दोनों शहीदों के परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। देश के लिए उत्तराखंड पिथौरागढ़(गंगोलीहाट) के रहने वाले शंकर सिंह महरा और मुनस्यारी के गोकर्ण शहीद हो गए। दोनों के परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
आखिरी शब्द-मां अभी फायरिंग शुरू हो गई है, बाद में फोन करूंगा
शहीद शंकर सिंह महरा की मां के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। मां ने बताया कि बेटे से आखिरी बार बात हुई थी तब बेटे ने मां से कहा था कि मां अभी फायरिंग शुरू हो गई है, बाद में फोन करूंगा…और पाक फायरिंग का मुहतोड़ जवाब देते हुए शंकर घायल हो गए। इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
मां बेटे के फोन का इंतजार करती रह गई, बेटा अंजान
मिली जानकारी के अनुसार शंकर सिंह 31 साल के थे और 12वीं करने के बाद 23 मार्च 2010 को सेना की 21 कुमाऊं में भर्ती हुए थे। 7 साल पहले उनका विवाह इंद्रा के साथ हुआ। शहीद का 6 साल का बेटा है हर्षित जो पिता की शहादत से अंजान है। शहीद हर दिन पत्नी और मां से फोन पर बात करते थे। आखिरी शब्द शहीद के मां को यही थे कि मां फायरिंग शुरु हो गई है बाद में बात करुंगा लेकिन फिन वो फोन नहीं कर पाए। मां बेटे के फोन का इंतजार करती रह गई। शुक्रवार को जब शंकर की शहादत की खबर सुनी तो पूरे गांव में कोहराम मच गया। लेकिन मां को नहीं बताया गया कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हो गया। जब शनिवार की सुबह लोग घर आने लगे तो मां को कुछ बड़ी अनहोनी की आशंका हुई। तो गांव वालों को बताना पड़ा कि उनका बेटा शहीद हो गया। ये खबर सुन मां बेहोश हो गई। साथ ही पत्नी बेसुध हो गई लेकिन 6 साल का बेटा इससे अंजान था।
पूरा परिवार सेना में
बता दें कि शहीद शंकर की पृष्ठभूमि सैन्य रही है। शहीद शंकर सिंह के दादा भवान सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध लड़ा था। शंकर सिंह के पिता ने भी सेना को ही चुना और राष्ट्रीय राइफल में भर्ती हुए। देश सेवा के बाद उन्होंने वर्ष 1995 में सेवानिवृत्ति ली। दादा-पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए शहीद शंकर सिंह और उनके छोटे भाई नवीन सिंह ने भी सेना ज्वॉाइन की। शंकर सिंह के छोटे भाई नवीन सिंह 7वीं कुमाऊं में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं।