रुड़की : कहने को तो उत्तराखंड पुलिस भिक्षा नहीं शिक्षा दो अभियान चलाकर भीख मांग रहे बच्चों का भविष्य सुधार रही है और दावा कर रही है। ये दावा कुछ हद तक देहरादून में तो सही साबित होता दिखा लेकिन और जिले के हालत देखकर एक ही सवाल खड़ा होता है कि आखिर कहां है मित्र पुलिस का भिक्षा नहीं शिक्षा दो अभियान।
जी हां शिक्षानगरी के नाम से जाने वाले रूड़की में जगह-जगह भिक्षुओं का तांता देखने को मिल रहा है। ये भिक्षुक मासूम बच्चों से लेकर बड़ी आयु तक के हैं लेकिन इस सबसे बेखबर पुलिस प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। रूड़की के चाट बाजार, सिविल लाइंस, बस अड्डा या रेलवे स्टेशन से लेकर गंगनहर थाना चौराहे पर सैंकडों भिखारी देखे जा सकते हैं। और कई बार तो या भिखारी आने जाने वाले राहगीरों को जबरदस्ती खींचा तानी लड़ने लग जाते है। वहीं बहुत से भिखारी बांग्लादेश तक से यहाँ भीख मांगने आते है जो तीर्थ स्थल पिरान कलियर में शरण लिए रहते हैं।
यही हाल पिरान कलियर में भी देखने को मिलता है। वहाँ भी आने वाले तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है जब भिखारी उन्हें चारों तरफ से घेर लेते है। चाईल्ड एक्ट लागू होने के बावजूद रूड़की के हर मुख्य जगहों पर मासूम बच्चे भीख माँगते हुए दिखाई देते है पर कोई भी अधिकारी इस मामले में कार्यवाही करना उचित नही समझता है।.
वहीं इस पूरे मामले में सीओ रूड़की चंदन सिंह बिष्ट का कहना है कि समय समय पर पुलिस द्वारा अभियान चलाए जाते हैं और इस तरह के लोगों पर कार्रवाही की जाती है। वहीं कलियर मेले के दौरान ट्रैन से बाहर के भिखारी भारी मात्रा में आ जाते हैं। जो बाहर के देशों से लोग आ जाते हैं पुलिस उनके खिलाफ भी कार्यवाही करती है और भविष्य में भी इसे अभियान चलाए जाते रहेंगे।