निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की तारीख तय है। तीन मार्च को दोषियों को फांसी दी जानी है, लेकिन इस बीच एक ऐसा मोड़ आ गया, जिससे फांसी पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। माना जा रहा है कि इय कदम से एक बार फिर फांसी की सजा कुछ दिन के लिए टल सकती है। दोषियों के वकील एपी सिंह ने एक बार फिर 3 मार्च को होने वाली फांसी टालने के लिए एक नई चाल चली है। एपी सिंह ने चालाकी से पहले तो पवन का केस बीच में छोड़ दिया और उसे दूसरा वकील दिलाने की मांग की। अदालत ने दूसरा वकील भी दिया, लेकिन दोषी पवन ने नवकील से बात ही नहीं की। अब फांसी में केवल तीन दिन बचे हैं। इस बीच अचानक से दोषियों के वकील एपी सिंह फिर से पवन के वकील बन गए और फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का दांव चल दिया।
निर्भया के चारों दोषियों में से पवन ही एक मात्र है, जिसके पास पास अब भी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प बचा हुआ। तीन मार्च को फांसी है और 17 फरवरी को तीसरा डेथ वारंट जारी हुआ था। इतने दिन बीतने के बाद भी उसने किसी तरह के कानूनी विकल्प को नहीं आजमाया, लेकिन अब फांसी से ठीक तीन दिन पहले वकील एपी सिंह फांसी टालने के लिए याचिका डालने के साथ ही क्यूरेटिव पिटीशन भी सुप्रीम कोर्ट में डाल दी।
सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। जिसमें अदालत यह फैसला करेगी कि दोषियों को अलग-अलग फांसी होगी या एक साथ। अगर अदालत एक साथ फांसी का फैसला सुनाती है तो दोषियों की फांसी मार्च के अंत तक के लिए टल सकती है। इसकी वजह ये है कि अभी क्यूरेटिव पिटीशन डाली गई है फिर दया याचिका दायर की जाएगी। नियम है कि दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज होने के बाद दोषी को 14 दिन का समय मिलता है। उसके बाद ही फांसी हो सकती है। ऐसे में दोषियों की फांसी मार्च अंत तक के लिए टल सकती है।