देहरादून : निकम्मे कर्मचारियेां को जहां अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर घर बैठानेे के निर्देश प्रदेश सरकार सभी विभागों को दे चुकी है. वहीं अब सभी विभाग इन दिनों कामचोर और निकम्मे अधिकारियों की छंटनी करने में लगे हुए हैं. उत्तराखंड के सबसे बड़े कर्मचारियों वाले शिक्षा विभाग में भी इसकी शुरूवात हो चुकी है लेकिन शिक्षक नेता खुले रूपे से अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
दरअसल शिक्षक नेता आयोग्य शिक्षक समझे जाने के बिंदुओं को लेकर विरोध कर रहे हैं और उसमें बोर्ड परीक्षाओं का मूल्याकंन भी कर रहे हैं। शिक्षक नेतओं के द्धारा आयोग्य शिक्षक समझे जाने के बिंदुओं पर विरोध को लेकर शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि उन्हें किसी तरह कोई प्रत्यावेदन विरोध को लेकर नहीं मिला है लेकिन जहां तक बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की बात है तो बेतर शिक्षा देने के लिए जो भी कदम उठाने पड़ेंगे वह उठाएं जाएंगे और विरोध को दरकिनार करेंगे।